वाराणसी : गंगा सप्तमी का दिन माता गंगा के उत्पत्ति दिवस के तौर पर मनाया जाता है. हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी कहते हैं. कुछ जगहों पर इसे जाह्नु सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक कथाओं के अनुसार इस दिन माता गंगा ब्रह्मा जी के कमंडल में उत्पन्न हुई थी. हिन्दू धर्म में इस दिन का खास महत्व है.
काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि 13 मई को शाम 5 बजकर 20 मिनट से सप्तमी तिथि की शुरुआत हो रही है, जो 14 मई को शाम 6 बजकर 49 मिनट तक रहेगी. इस लिहाज से उदया तिथि के अनुसार गंगा सप्तमी का पर्व 14 मई 2024 को मनाया जाएगा.
हिन्दू धर्म में गंगा नदी को देवी का स्वरूप माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि गंगा सप्तमी पर गंगा स्नान और पूजा से सारे पाप कट जाते हैं. इसके अलावा पितर भी प्रसन्न होते हैं.धार्मिक कथाओं के अनुसार जब व्यक्ति किसी विशेष तिथि पर ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान के लिए घर से निकलता है, तभी उनके पितर खुश हो जाते हैं.
इस दिन गंगा स्नान के बाद व्यक्ति को दूध से माता का अभिषेक करना चाहिए. उसके बाद पुष्प अर्पण कर धूप, दीप, अगरबती से उनकी पूजा करनी चाहिए और हाथ जोड़कर माता गंगा से निवेदन करना चाहिए कि माता गंगा उनके सारे पाप हर लें. ऐसा करने से जाने अनजाने में हुए पापों से छुटकारा मिल जाता है.