नई दिल्ली : इस हफ्ते आसमान में एक के बाद एक टूटते तारों की आतिशबाजी होने वाली है। यों तो हर साल 19 अप्रैल से 28 मई के बीच उल्काओं की बारिश होती है लेकिन इस बार के उल्कापात जैसा अनूठा नजारा दो दशक बाद देखने को मिलेगा। अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने बुधवार को बताया कि उल्काओं की बारिश शुरू हो चुकी है। 4 से 6 मई के बीच यह पीक पर होगी यानी अपने चरम पर होगी।
नासा (NASA) के वैज्ञानिकों के मुताबिक यह उल्कापात हैली धूमकेतु से जुड़ा है। इसे ‘एटा एक्वेरिड्स’ कहा जाता है। आसमान में चार से छह मई के बीच हर मिनट एक उल्कापात नजर आएगा। उल्काओं की रफ्तार करीब 7,57,344 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। आतिशबाजी इतनी चमकीली होगी कि इसे सीधे आंखों से देखा जा सकेगा। एटा एक्वेरिड्स का अगला विस्फोट 2046 में होगा। इस उल्कापात में जो उल्काएं (टूटते तारे) दिखाई देती हैं, वे हैली धूमकेतु से सैकड़ों साल पहले अलग हो गई थीं। इस धूमकेतु की कक्षा पृथ्वी के इतने करीब से नहीं गुजरती कि पृथ्वी पर उल्कापात हो सके।
अमेरिकन मीटियोर सोसायटी का कहना है एटा एक्वेरिड्स उल्कापात का पीक टाइम पांच मई को रात 8:43 बजे होगा। इसे पांच और छह मई को सुबह होने से कुछ घंटों पहले देखा जा सकता है। इसे देखने के लिए बायनॉकुलर्स और टेलीस्कोप का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। नासा के मुताबिक उल्कापात दक्षिणी गोलार्ध में सबसे साफ नजर आएगा। भूमध्य रेखा के उत्तर में भी यह देखा जा सकता है।