नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव में शतक से 1 सीट चूकी कांग्रेस अब एक और बड़ी जिम्मेदारी के लिए राहुल गांधी की तरफ देख रही है। राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चाएं हैं कि पार्टी के नेता राहुल को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर देखना चाहते हैं। हालांकि, इसे लेकर किसी भी नेता की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। साथ ही राहुल ने भी आगे की भूमिका को लेकर साफतौर पर कुछ नहीं कहा है। बहरहाल, एक और फैसला राहुल को लेना है कि वह रायबरेली सीट छोड़ेंगे या वायनाड?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली सरकार यानी साल 2014 में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने संभाली थी। इसके बाद उन्होंने राज्यसभा का रुख किया और वहां विपक्ष के नेता बने। जबकि, लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी बने। खास बात है कि चौधरी भी तृणमूल कांग्रेस के हाथों चुनाव हार चुके हैं।
हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब नेता राहुल को लोकसभा में कांग्रेस का चेहरा बनाना चाहते हैं, लेकिन वह पद संभालने से इनकार करते रहे हैं। खास बात है कि नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस यानी NDA सरकार के खिलाफ कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष विपक्ष मोर्चे का प्रमुख चेहरा बनकर उभरे हैं। ऐसे में और चर्चाएं ये भी हैं कि वह अब इस भूमिका को लोकसभा में भी निभा सकते हैं।
2019 की तरह ही 2024 लोकसभा चुनाव भी राहुल ने देश की दो सीटों से लड़ा था। इनमें उत्तर प्रदेश की रायबरेली और केरल की वायनाड सीट शामिल है। हालांकि, 2019 से विपरीत उन्होंने एक के बजाए दोनों ही सीटों पर लंबे अंतर से जीत हासिल की है। फिलहाल, राहुल को यह भी तय करना है कि वह रायबरेली में रहेंगे या वायनाड का रुख करेंगे।