मनाली : देश में इस साल पड़ रही गर्मी ने कई रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. गर्मी का आलम ऐसा है, जैसे आसमान आग उगल रहा है. इस साल देश के मैदानी हिस्सों में ही नहीं बल्कि पहाड़ी इलाकों में भी भीषण गर्मी पड़ रही है. हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के पहाड़ी शहर गर्मी के महीनों में उत्तर भारतीयों के लिए पसंदीदा जगह रही है, लेकिन इस मौसम में इन हिल स्टेशनों ने भी अपना आकर्षण खो दिया है. इसके दो मुख्य कारण हैं पहला पहाड़ियां इतनी ठंडी नहीं थीं और दूसरा पर्यटकों की भारी भीड़ ने उन्हें तंग और अत्यधिक गर्म बना दिया है.
हिमाचल प्रदेश के मनाली में बैंगलुरु जैसा हाल है. पर्यटकों की भारी भीड़ पहुंचने की वजह से ट्रैफिक जाम लग गया है. कांगड़ा में तापमान 41 डिग्री तक पहुंच गया है, जिसकी वजह से पर्यटक वहां जाकर पछता रहे हैं.
शिमला में 29 मई को इस सीजन का सबसे अधिक तापमान दर्ज किया गया था, जो कि 31.7 डिग्री सेल्सियस था. वहीं हिमाचल प्रदेश के ऊना ने दिल्ली के 45 डिग्री सेल्सियस तापमान की बराबरी कर ली थी. यह असामान्य गर्मी हिल स्टेशनों खासकर हिमाचल प्रदेश में आम होती जा रही है. इसका मतलब है कि मैदानी इलाकों में भीषण गर्मी से पीड़ित लोगों को अब पहाड़ों में भी सुकून नहीं मिल रहा है.
देश के कई पहाड़ी इलाकों में तो बेंगलुरु, मुंबई और भोपाल से भी ज्यादा तापमान दर्ज किया गया. हिमाचल प्रदेश के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक कुल्लू में 29 मई को 38.3 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया, जो बेंगलुरु से चार डिग्री अधिक था.
इस साल उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में मई का महीना काफी गर्म रहा. देहरादून में 43 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया, जो 2012 के रिकॉर्ड से मैच होता है, जिसमें लगातार आठ दिन 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान रहा. जम्मू और कश्मीर के श्रीनगर में एक दशक में सबसे गर्म मई के महीने का अनुभव किया गया और तापमान 32.7 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया. शिमला में 2012 के बाद से सबसे अधिक तापमान 31.7 डिग्री सेल्सियस और सुंदर नगर में 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान दर्ज किया गया.
हिल स्टेशनों पर न्यूनतम तापमान में भी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है. शिमला में 1 जून को न्यूनतम तापमान 29.9 डिग्री सेल्सियस और 21.4 डिग्री के बीच उतार-चढ़ाव देखा गया, जो सामान्य सीमा से काफी अधिक था.
देश के कई इलाकों से लोग भीषण गर्मी से बचने के लिए हिल स्टेशनों पर पहुंचे तो ट्रैफिक जाम में फंस गए, जिसकी शिकायत कुछ पर्यटकों ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर की और बताया कि मनाली में दिल्ली से भी ज्यादा गर्मी है और काफी लंबा ट्रैफिक जाम भी लगा हुआ है.
जलवायु कार्यकर्ता जय धर गुप्ता ने इंडिया टुडे को बताया कि पहाड़ों में बढ़ता तापमान अनियंत्रित और अवैज्ञानिक विकास व पर्यटन गतिविधियों का परिणाम है. हर जगह की एक निश्चित क्षमता होती है और पहाड़ियों पर क्षमता से कहीं ज्यादा लोग आ रहे हैं. वहीं सड़कों और होटलों को बनाने के लिए पहाड़ों को काटा जा रहा है, जिसकी वजह से पहाड़ी इलाकों में इतनी ज्यादा गर्मी देखने को मिल रही है.