उत्तराखंड में बाहर से आने वालों को किया जा सकता है क्वारंटीन

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उत्तराखंड (Uttarakhand) में एक बार फिर कोरोना संक्रमण (Corona Infection) के मामलों में इजाफा देखा जा रहा है. ढाई महीने बाद राज्य में कोरोना के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं. वहीं राज्य में कोरोना के बढ़ते मामले और ओमीक्रोन के खतरे को देखते हुए राज्य सरकार बाहर से आने वालों के लिए नए नियम लागू कर सकती है. राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने इसकी सिफारिश की है. जिसके तहत बाहर से आने वालों का टेस्ट किया जाएगा और जिन लोगों में संक्रमण की पुष्टि होगी उन्हें क्वारंटीन किया जाएगा. जबकि विदेशों से आने वालों का टेस्ट जरूरी होगा.

दरअसल राज्य में रविवार को एक ही दिन में 36 नए मरीज मिले हैं, जिससे प्रदेश में एक बार फिर संक्रमण बढ़ने का खतरा बढ़ गया है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक रविवार को पौड़ी जिले में सर्वाधिक 19, नैनीताल में सात, देहरादून में पांच, हरिद्वार में दो, अल्मोड़ा में दो और यूएस नगर जिले में एक मरीज में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है. इसके बाद राज्य कोरोना के कुल मरीजों की संख्या बढ़कर तीन लाख 44 हजार 219 हो गई है.

कोरोना के नए वैरिएंट ओमीक्रॉन के नए रूप के बढ़ते खतरे को देखते हुए राज्य में सख्ती की सिफारिश की गई है. इसके लिए सीमा पर बाहर से आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग अनिवार्य करने और विवाह समारोहों में लोगों की संख्या सीमित करने का सुझाव दिया गया है. असल में शनिवार देर शाम हुई विशेषज्ञ समिति की बैठक में वायरस के नए रूप को फैलने से रोकने के लिए तत्काल सख्त कदम उठाने पर जोर दिया गया है. एचएनबी मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो हेमचंद्र की अध्यक्षता में गठित इस कमेटी में स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ तृप्ति बहुगुणा सहित कई स्वास्थ्य विशेषज्ञ शामिल हुए. समिति के अध्यक्ष प्रो हेमचंद्र ने बताया कि विदेश से आने वाले हर व्यक्ति का टेस्ट कर अगर कोरोना की पुष्टि होती है तो उसे क्वारंटीन किया जाए. ताकि इस संक्रमण का प्रसार न हो सके.

राज्य में पिछले चार दिनों से कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. जहां राज्य में 25 नवंबर को आठ मरीज मिले थे. वहीं 26 नवंबर को मरीजों की संख्या बढ़कर 13 हो गई और 27 नवंबर को बढ़कर 14 तक पहुंच गई. जबकि रविवार को 36 नए मरीज मिले हैं. वहीं जानकारों का कहना है कि कोरोना टेस्ट भी राज्य में कम हुए हैं और इन्हें बढ़ाने की जरूरत है. उनका कहना है कि सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य से 80 फीसदी कम जांच की जा रही है.

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