बारी : जी7 शिखर सम्मेलन में बतौर आमंत्रित सदस्य शामिल होना भारत के लिए बेहद लाभकारी साबित हुआ है। जी7 देशों ने भारत को सबसे बड़ा तोहफा दिया है। इसके जरिये भारत को अब सीधे हाईस्पीड रेलवे के जरिये यूरोप से जोड़ने पर सहमति बनी है। इससे पश्चिम एशिया से लेकर यूरोप तक भारत का व्यापार कई गुना तक बढ़ जाएगा। बता दें कि जी7 के अंत में सात औद्योगिक देशों के समूह ने विज्ञप्ति जारी करके भारत-पश्चिम-यूरोप आर्थिक गलियारे जैसे ठोस बुनियादी ढांचे के प्रस्तावों को आगे बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्धता जताई है। साथ ही इस प्रोजेक्ट को सड़क मार्ग के अलावा हाईस्पीड रेलवे के साथ भी जोड़ने का प्लान तैयार किया है।
यह विज्ञप्ति शुक्रवार शाम को लक्जरी रिसॉर्ट बोर्गो एग्नाजिया में प्रथा के तौर पर ‘‘पारिवारिक फोटो’’ के बाद जारी की गई। इसके साथ जी7 ने कानून के शासन के आधार पर ‘‘स्वतंत्र और मुक्त हिंद-प्रशांत’’ के प्रति प्रतिबद्धता भी दोहराई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मेजबान इतालवी समकक्ष जॉर्जिया मेलोनी के निमंत्रण पर जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लिया।
विज्ञप्ति में कहा गया, ‘‘हम गुणवत्तापूर्ण अवसंरचना और निवेश की खातिर परिवर्तनकारी आर्थिक गलियारे विकसित करने के लिए जी7 पीजीआईआई के ठोस प्रस्ताव, प्रमुख परियोजनाओं और पूरक प्रस्तावों को बढ़ावा देंगे, जैसे कि लोबिटो कॉरिडोर, लुजोन कॉरिडोर, मिडिल कॉरिडोर और भारत-पश्चिम एथिया-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर के लिए हमारे समन्वय तथा वित्तपोषण कार्यक्रम को मजबूत करना, इसके साथ ही ईयू ग्लोबल गेटवे, ग्रेट ग्रीन वॉल पहल और अफ्रीका के लिए इटली द्वारा शुरू की गई मैटेई योजना को तैयार करना।’’
भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा परियोजना के तहत सऊदी अरब, भारत, अमेरिका और यूरोप के बीच एक विशाल सड़क, रेलमार्ग और पोत परिवहन तंत्र की परिकल्पना की गई है ताकि एशिया, पश्चिम एशिया और पश्चिम के बीच जुड़ाव सुनिश्चित किया जा सके। आईएमईसी को समान विचारधारा वाले देशों द्वारा चीन की ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ के समक्ष रणनीतिक प्रभाव हासिल करने की पहल के रूप में भी देखा जा रहा है। बीआरआई एक विशाल संपर्क परियोजना है जो चीन को दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य एशिया, रूस और यूरोप से जोड़ती है। पिछले वर्ष दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान आईएमईसी को अंतिम रूप दिया गया था।