इंदौर: हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना करने और अनुबंध के आधार पर चयनित ‘संविदा शिक्षक’ को वैध नियुक्ति से इनकार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार पर दस लाख रुपये (10-lakhs) का जुर्माना लगाया है. कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को शिक्षक को राहत देने से इनकार करने के लिए जानबूझकर, अवैध, दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई करने के लिए जिम्मेदार दोषी अधिकारियों से इस राशि को वसूलने का निर्देश दिया है.
सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने कहा कि यह मनाने के बाद भी कि अपीलकर्ता की नियुक्ति गलत तरीके से रोक दी गई थी उसके बाद कोई राहत नहीं दी गई. ये उसके अपने आदेश का उल्लंघन है.
इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार की कार्रवाई को हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेशों को किसी भी तरह से दरकिनार करने की कोशिश बताया है. जिसे अपीलकर्ता तथा उसके साथियों को नियुक्ति से वंचित किया जा सके. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने माना हैं कि अपीलकर्ता राज्य सरकार तथा उसके अधिकारियों की मनमानी तथा अत्याचारपूर्ण कार्रवाई के कारण परेशानी का सामना करना पड़ा है. ऐसे में वो मुआवजे की हकदार है.
कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश हुए कहा हैं कि अपीलार्थी को तत्काल संविदा शाला शिक्षक ग्रेड-III या समकक्ष पद पर 60 दिन के अंदर नियुक्ति दी जाए. अपीलकर्ता को राज्य सरकार 10 लाख का जुर्माना देगी. ये भी सरकार को 60 दिन में देना होगा और ये राशि सरकार उन अधिकारियों से लेगी जो इसमें दोषी पाएं गए हैं.