चुनाव के बाद महंगी हुई सब्जियां, दो हफ्ते में ही दोगुना से ज्यादा बढ़ गए टमाटर के दाम

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नई दिल्ली : भीषण गर्मी का प्रकोप सब्जियों की कीमतों पर भी दिख रहा है। देश के कई हिस्सों में टमाटर के दाम दो-तीन हफ्ते में दोगुने (Double.) से भी ज्यादा हो गए हैं। टमाटर की कीमत में यह बढ़ोतरी महाराष्ट्र और दक्षिणी राज्यों कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल में देखी गई है। इसका असर आने वाले दिनों में उत्तर के क्षेत्रों में भी दिखाई दे सकता है और टमाटर महंगा हो सकता है। इससे पहले प्याज के दाम में भी बढ़ोतरी देखने को मिल चुकी है।

सरकारी पोर्टल, एगमार्कनेट के आंकड़ों के अनुसार, दक्षिणी राज्यों में टमाटर की औसत थोक कीमतें 35 से 50 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच है, जबकि कर्नाटक के कुछ बाजारों में कीमत 60 रुपये तक पहुंच चुकी हैं। शहरों में खुदरा भाव 80 प्रति किलो तक पहुंच गए हैं।

आंकड़ों के अनुसार पिछले दो-तीन हफ्तों के दौरान और एक साल पहले की तुलना में कीमतें लगभग दोगुनी हो गई हैं। हालांकि, उत्तर भारत के राज्यों में दाम में अधिक इजाफा देखने को नहीं मिला है लेकिन जुलाई में स्थिति जटिल हो सकती है, जब आपूर्ति की कमी के कारण कीमतें आमतौर पर बढ़ जाती हैं।

जानकारों का कहना है कि इस साल गर्मी ने टमाटर के उत्पादन को प्रभावित किया है। लंबे समय तक तापमान 42 से 44 डिग्री सेल्सियस रहा, जिससे फूल और फल खराब हो गए, जिसके असर से उत्पादन कंम हो गया है। जो उपज हो रही है, वह खेतों से मंडियों में नहीं पहुंच रही है।

टमाटर की कीमतें जुलाई और अक्टूबर के बीच चरम पर होती हैं। बरसात के मौसम में टमाटर बहुत छोटे क्षेत्रों में उगाए जाते हैं। मानसून के दौरान अत्यधिक भारी बारिश के कारण फल टूट जाते हैं, जिन्हें लंबी दूरी तक नहीं ले जाया जा सकता।

इस साल भीषण गर्मी और पिछले साल कम बारिश के लंबे समय तक बने रहने के कारण टमाटर, प्याज और आलू की कीमतें फिर से बढ़ गई हैं। आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि आलू एक साल पहले की तुलना में 43.82% (₹31.38 प्रति किलोग्राम) बढ़ गया है। वहीं, हाल ही में निर्यात की अनुमति के बाद प्याज की दरें 55.05% (₹35.66) प्रति किलोग्राम बढ़ गई हैं।

जबकि, टमाटर की अखिल भारतीय औसत कीमतों में 37.29 फीसदी का इजाफा हुआ है। हाल में जारी क्रिसिल की रिपोर्ट में भी बताया गया था कि टमाटर की कीमतों में 39 प्रतिशत, आलू में 41 प्रतिशत और प्याज में 43 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

विशेषज्ञों का कहना है कि देश में भीषण गर्मी के कारण खाद्य मुद्रास्फीति भी ऊंची बनी रहने का अनुमान है। इक्रा का अनुमान है कि जून 2024 में थोक महंगाई बढ़कर तीन प्रतिशत तक हो सकती है। हालांकि, मानसून की प्रगति भविष्य में खाद्य मुद्रास्फीति की दिशा निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

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