पेपर लीक के बाद NTA चीफ सुबोध सिंह को हटाया, अब पूर्व गृह सचिव को मिला प्रभार

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नई दिल्‍ली : नीट-यूजी और यूजीसी-नेट परीक्षाओं के आयोजन में अनियमितताओं को लेकर राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी के प्रमुख सुबोध कुमार सिंह को शनिवार रात उनके पद से हटा दिया गया। उन्हें कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग में प्रतीक्षा पर रखा गया है। नियमित NTA प्रमुख की नियुक्ति होने या अगले आदेश तक उनके स्थान पर 1985 बैच के सेवानिवृत्त अधिकारी प्रदीप सिंह करोला को नियुक्त किया गया है।

पिछले दो महीनों से एनटीए देश की दो सबसे बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं (नीट-यूजी और यूजीसी-नेट) में कथित अनियमितताओं और पेपर लीक को लेकर विवादों में घिरा रहा है। खुद केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) का शीर्ष नेतृत्व प्रतियोगी परीक्षाओं-नीट और नेट में कथित अनियमितताओं को लेकर जांच के दायरे में है।

उत्तर प्रदेश के मूल निवासी सुबोध कुमार ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) रुड़की से इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री तथा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU), नई दिल्ली से MBA की डिग्री प्राप्त की है। पिछले जून में अपनी वर्तमान भूमिका संभालने से पहले, IAS अधिकारी सुबोध सिंह केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग में अतिरिक्त सचिव के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मुख्यमंत्री रमन सिंह के अधीन 2009 से 2018 तक छत्तीसगढ़ सचिवालय में नौ साल तक सेवा की है।

रिपोर्ट के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में, उन्हें सीएमओ को डिजिटल बनाने, राज्य के खनिज क्षेत्र को बदलने और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सड़क संपर्क लाने का श्रेय दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जगदलपुर, बिलासपुर और अंबिकापुर में हवाई अड्डों के विकास और राज्य के रेल नेटवर्क का विस्तार करने में भी उनकी अहम भूमिका रही है। हालांकि, छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम के साथ काम करने के कारण, उन्हें उनका करीबी माना जाता था, जिससे यह धारणा बनी कि वे भाजपा के आदमी हैं। नतीजतन, 2018 में भूपेश सिंह बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद, उन्हें दरकिनार कर दिया गया। राज्य में उनकी आखिरी पोस्टिंग राज्य के श्रम, स्टांप और पंजीकरण विभाग में सचिव के रूप में थी, जिसे उन्होंने जनवरी 2020 में छोड़ दिया। रमन सिंह से कथित निकटता के बावजूद, राज्य के कांग्रेस नेता भी उनके काम की सराहना करते दिखते हैं। पार्टी के एक नेता के अनुसार, सीएमओ में अपने कार्यकाल के दौरान सुबोध कुमार विवादों से दूर रहे हैं।

इससे पहले शिक्षा मंत्री ने कहा था कि वह छात्रों के हितों के संरक्षक हैं और कोई भी कदम उठाने से पहले उन्हें इस बात को ध्यान में रखना होगा। मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट में अनियमितताओं को लेकर मचे बवाल के बीच प्रधान ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था कि वह उन लाखों उम्मीदवारों के करियर को खतरे में नहीं डाल सकते जिन्होंने सही तरीके से परीक्षा पास की है।

संयुक्त वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और यूजीसी-नेट की जून की परीक्षा शुक्रवार रात स्थगित कर दी गई। संयुक्त सीएसआईआर-यूजीसी-नेट जूनियर रिसर्च फेलोशिप और सहायक प्रोफेसर तथा विज्ञान पाठ्यक्रमों में पीएचडी में प्रवेश के लिए पात्रता निर्धारित करने के लिए आयोजित की जाने वाली परीक्षा है। प्रधान ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सीएसआईआर-यूजीसी नेट में कुछ भी लीक नहीं हुआ था, इसे संसाधन संबंधी मुद्दों के कारण स्थगित कर दिया गया। कल नीट के 1,563 उम्मीदवारों की भी फिर से परीक्षा है। सभी जगहों पर परीक्षा के सुचारू संचालन के लिए यह निर्णय लिया गया।’’

एनटीए की भूमिका की जांच के बारे में पूछे जाने पर प्रधान ने कहा, ‘‘मैं पहले ही कह चुका हूं कि यह संस्थागत विफलता है। मैंने जिम्मेदारी ली है। एनटीए का शीर्ष नेतृत्व कई तरह के सवालों के घेरे में है। लेकिन मुझे सबसे पहले छात्रों के हितों की रक्षा करनी है। मैं उनके हितों का संरक्षक हूं।’’ इस सप्ताह की शुरुआत में मंत्रालय ने बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई से रिपोर्ट मांगी थी, जो नीट में पेपर लीक के आरोपों की जांच कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘रिपोर्ट अभी तक नहीं मिली है…लेकिन यह तय है कि किसी भी अनियमितता में शामिल या जिम्मेदार किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।’’

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