मास्को: रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद पहली बार पीएम मोदी (Prime Minister Narendra Modi) रूस की यात्रा पर जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि 8 जुलाई को पीएम मोदी मास्को (Moscow) के दौरे पर होंगे जहां उनकी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (President Vladimir Putin) के साथ मुलाकात होगी। करीब 5 साल के बाद पीएम मोदी का यह रूस दौरा हो रहा है। भारत और रूस के बीच दोस्ती दशकों पुरानी है और आज भी हिंदुस्तान अपना सबसे ज्यादा हथियार रूस से खरीदता है। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत ने रूस से बहुत बड़े पैमाने पर कम दर पर तेल खरीदा है। पीएम मोदी का यह दौरा एक दिन हो सकता है। यूक्रेन युद्ध और दक्षिण चीन सागर में चल रहे तनाव के बीच दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है और पीएम मोदी का यह दौरा दोनों देशों के बीच नई भागीदारी को जन्म दे सकता है। वहीं इस दौरे अमेरिका और चीन दोनों को ही तीखी मिर्ची लगने जा रही है।
पीएम मोदी का यह दौरा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वह केवल रूस के दौरे पर जा रहे हैं। इसे ब्रिक्स के साथ शामिल नहीं किया जा रहा है जो अक्टूबर महीने में रूस के कजान में होने जा रही है। पीएम मोदी लगातार तीसरी बार जहां पीएम बने हैं, वहीं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन लगातार पांचवीं बार मार्च में राष्ट्रपति बने हैं। इससे पहले आखिरी बार पीएम मोदी साल 2019 में रूस के व्लादिवोस्तोक शहर गए थे, हालांकि उनकी मास्को में आखिरी यात्रा 2015 में हुई थी। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध दो साल से जारी है। संकट की इस घड़ी में भारत ने रूस की मदद के लिए जमकर तेल खरीदा है। आलम यह है कि सऊदी अरब को पछाड़ रूस भारत का सबसे बड़ा तेल सप्लायर बन गया है।
भारत को यह तेल कम दर पर मिला जिससे महंगाई को काबू करने में मदद मिली। वहीं भारतीय कंपनियों को अरबों डॉलर की आमदनी भी हुई है। भारत यह तेल तब खरीदा जब अमेरिका ने रूस के खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगा रखे हैं। बाइडन प्रशासन के कई अधिकारियों ने भारत को रूसी तेल को लेकर गीदड़भभकी दी लेकिन मोदी सरकार ने घुटने नहीं टेके। भारत का रूस तेल का आयात लगातार नए रेकॉर्ड बना रहा है। अब भारत के कुल तेल आयात का 40 फीसदी हिस्सा रूस से आ रहा है। यही नहीं भारत ने रूस से कच्चा तेल खरीदकर उसे साफ किया और यूरोप को इसका निर्यात कर दिया जिससे अरबों डॉलर की भारतीय कंपनियों को कमाई हुई है।
दरअसल, यूरोपीय देशों ने यूक्रेन युद्ध की वजह से रूस से सीधे तेल आयात पर बैन लगा दिया है। अमेरिका के दबाव के बाद भी भारत रूस से लगातार हथियार भी खरीद रहा है। भारत लगातार रूस के साथ रिश्ते को आगे बढ़ा रहा है जिस पर अमेरिका ने पैनी नजर गड़ा रखी है। भारत ने यूक्रेन पर रूस के हमले की आलोचना करने से इंकार कर दिया था। हालांकि पीम मोदी ने युद्ध को लेकर पुतिन को खुलकर सुना भी दिया था। हाल ही में स्विटजरलैंड में आयोजित शांति सम्मेलन में भारत ने संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर नहीं किया था।
पीएम मोदी का यह रूस दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब रूस और चीन के बीच दोस्ती नए शिखर पर पहुंच गई है। रूस के राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद हाल ही में पहले विदेश दौरे पर चीन गए थे। रूस और चीन की इस दोस्ती पर भारत ने भी पैनी नजर गड़ाए रखी हुई है। विश्लेषकों का कहना है कि रूस को चीन जूनियर पार्टनर बनाना चाहता है और भारत को अपने दोस्त रूस की खुलकर मदद कर रहा है ताकि वह अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रख सके। माना जा रहा है कि इसी वजह से पीएम मोदी पश्चिमी देशों के विरोध के बाद भी रूस जा रहे हैं।