हाथरस : उत्तर प्रदेश के हाथरस में भोले बाबा के सत्संग में हिस्सा लेने पहुंचे श्रद्धालुओं के बीच भगदड़ मच गई, जिसमें 121लोगों की मौत हो गई। इस मामले में अब यूपी पुलिस एक्शन में आ गई हैं। हाथरस भगदड़ घटना पर शलभ अलीगढ़ IG माथुर ने बताया भारतीय न्याय संहिता की धारा-105, 110, 126(2), 223 और 238 के अंतर्गत मामला दर्ज़ किया गया…अभी तक 6 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है
हाथरस भगदड़ घटना पर शलभ अलीगढ़ IG माथुर ने बताया अगर जरूरत पड़ेगी तो पूछताछ की जाएगी। FIR के अंदर उनका(नारायण साकार उर्फ भोले बाबा) नाम नहीं है। ज़िम्मेदारी आयोजक की होती है। आयोजक का नाम FIR में है। आयोजक पर 1 लाख रुपए का ईनाम भी घोषित किया गया है। उनके साथ जो सेवादार थे, जिन्होंने भीड़ को रोकने की कोशिश की। जो वहां से भाग गए। जिन्होंने पुलिस के साथ सहयोग नहीं किया। उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए हादसे की न्यायिक जांच के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति बृजेश कुमार श्रीवास्तव (द्वितीय) की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन कर दिया गया है। प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल द्वारा बुधवार रात इसका नोटिफिकेशन जारी किया गया था।
न्यायिक जांच आयोग में रिटायर्ड आईएएस हेमंत राव और रिटायर्ड आईपीएस भवेश कुमार सिंह को सदस्य नियुक्त किया गया है। इसका मुख्यालय लखनऊ में होगा। आयोग इस नोटिफिकेशन जारी होने की तारीख से दो माह की अवधि के भीतर जांच पूरी करेगा। इसकी अवधि में किसी प्रकार का परिवर्तन राज्य सरकार के आदेश पर किया जा सकेगा।नोटिफिकेशन के अनुसार आयोग 2 जुलाई, 2024 को हाथरस जनपद में घटित घटना की जांच करेगा और जांच के बाद निर्धारित बिंदुओं पर राज्य सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।
बाबा का मूल नाम नारायण साकार हरि है और वे एटा ज़िले से अलग हुए कासगंज ज़िले के पटियाली के बहादुरपुर गांव के निवासी हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस की नौकरी के शुरुआती दिनों में वे स्थानीय अभिसूचना इकाई (एलआईयू) में तैनात रहे। क़रीब 28 साल पहले उन्हें छेड़खानी के एक मामले में अभियुक्त होने के कारण निलंबन की सज़ा मिली। तब सूरजपाल जाटव को पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया था। पुलिस अधिकारी बताते हैं कि छेड़खानी वाले मामले में सूरजपाल एटा जेल में काफ़ी लंबे समय तक क़ैद रहे और जेल से रिहाई के बाद ही सूरजपाल बाबा की शक्ल में लोगों के सामने आए।
पुलिस सेवा से बर्खास्त होने के बाद सूरजपाल अदालत की शरण में गए फिर उनकी नौकरी बहाल हो गई लेकिन 2002 में आगरा ज़िले से सूरजपाल ने वीआरएस ले लिया। पुलिस सेवा से मुक्ति के बाद सूरजपाल जाटव अपने गांव नगला बहादुरपुर पहुँचे, जहाँ कुछ दिन रुकने के बाद उन्होंने ईश्वर से संवाद होने का दावा किया और ख़ुद को भोले बाबा के तौर पर स्थापित करने की दिशा में काम शुरू किया। कुछ सालों के अंदर ही उनके भक्त उन्हें कई नामों से बुलाने लगे और इनके बड़े-बड़े आयोजन शुरू हो गए, जिनमें हज़ारों लोग शरीक होने लगे।
इटावा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय कुमार के मुताबिक 75 साल के सूरजपाल उर्फ़ भोले बाबा तीन भाई हैं। सबसे बड़े सूरजपाल है, दूसरे नंबर पर भगवान दास हैं, जिनका निधन हो चुका है जबकि तीसरे नंबर पर राकेश कुमार हैं, जो पूर्व में ग्राम प्रधान भी रह चुके हैं।
बहरहाल पुलिस ने आयोजकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। यूपी के सीएम आदित्यनाथ योगी खुद इस मामले की मॉनिटिरंग कर रहे हैं। एफआईआर में बाबा का नाम नहीं है। बाबा कहां है…इस बारे में दो बातें सामने आ रही है। पहली यह है को पुलिस ने किसी आश्रम में रखा है, बताया यह जा रहा है कि मामला शांत होने पर पुलिस उनकी गिरफ्तारी बता सकती है। दूसरी ओर बाबा के फरार होने व मोबाइल बंद होने की जानकारी सामने आई है। आगे जो भी हो इस घटना से पूरा देश स्तब्ध है।