अग्निवीरों और नियमित सैनिकों के बीच युद्ध में हताहतों के लिए मुआवजे की व्यवस्था अलग तरह से काम करती है

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लुधियाना : लुधियाना जिले में स्थित रामगढ़ सरदारन गांव के मृतक अग्निवीर अजय सिंह (23) के परिवार ने दावा किया है कि उनके बेटे की मौत के छह महीने बाद भी उन्हें केंद्र या सेना से कोई अनुग्रह राशि नहीं मिली है। इस मुद्दे को लेकर खूब राजनीतिक बयानबाजी भी हो रही है। इस सप्ताह की शुरुआत में, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि जनवरी में बारूदी सुरंग विस्फोट में मारे गए अग्निवीर अजय कुमार के परिवार को सरकार से वित्तीय सहायता नहीं मिली। इसके जवाब में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में बताया कि ड्यूटी के दौरान मारे गए अग्निवीर को 1 करोड़ रुपये का मुआवजा मिलता है। हालांकि राहुल ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके राजनाथ सिंह पर सदन से झूठ बोलने का आरोप लगाया।

अब खुद सेना ने इस तरह के दावों को खारिज किया है। भारतीय सेना ने कहा कि परिवार को देय राशि में से 98.39 लाख रुपये का भुगतान पहले ही किया जा चुका है। इसने स्पष्टीकरण में कहा कि कुल राशि लगभग 1.65 करोड़ रुपये होगी। सरकारी सूत्रों ने बताया कि 1.65 करोड़ रुपये में केंद्र सरकार से 48 लाख रुपये और वित्तीय संस्थानों से सहमति पत्र के तहत बीमा के रूप में 50 लाख रुपये शामिल हैं। इसमें 39,000 रुपये की अतिरिक्त राशि; अनुग्रह राशि के रूप में 44 लाख रुपये; सेना कल्याण कोष से 8 लाख रुपये; कार्यकाल पूरा होने तक वेतन शेष के रूप में 13 लाख रुपये; और सेवा निधि के रूप में 2.3 लाख रुपये शामिल हैं। सेना ने कहा कि शहीद अग्निवीर के परिवार को पहले ही 98.39 लाख रुपये का भुगतान किया जा चुका है।

मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अग्निवीरों और नियमित सैनिकों के बीच युद्ध में हताहतों के लिए मुआवजे की व्यवस्था अलग तरह से काम करती है। नियमित सैनिकों की मृत्यु को पांच श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है – A से E – जबकि अग्निवीरों की मृत्यु को तीन श्रेणियों में रखा जाता है – X, Y और Z. श्रेणी ए (नियमित सैनिकों के लिए) और श्रेणी एक्स (अग्निवीरों के लिए) की मौतें सैन्य कारणों में नहीं आती हैं। यानी वे मौतें जो सैन्य कारणों से नहीं हुई हैं उन्हें श्रेणी ए और श्रेणी एक्स में रखा जाता है। श्रेणी बी और सी में रखी गई मौतें सैन्य सेवा के कारण होती हैं और इसमें ड्यूटी पर दुर्घटनाएं शामिल हैं। अग्निवीरों के लिए, इन मौतों को श्रेणी वाई (Y) में रखा गया है। नियमित सैनिकों की श्रेणी D और E व अग्निवीरों की श्रेणी Z की मौतों को हिंसा, प्राकृतिक आपदाओं, दुश्मन की कार्रवाई, सीमा पर झड़पों और युद्ध जैसी स्थितियों में रखा जाता है। यानी अगर कोई नियमित सैनिक हिंसा, प्राकृतिक आपदाओं, दुश्मन की कार्रवाई, सीमा पर झड़पों और युद्ध जैसी स्थितियों में शहीद होता है तो उसे श्रेणी D और E रखा जाएगा वहीं इसी स्थिति में अग्निवीर को श्रेणी Z में रखा जाएगा।

सभी नियमित सैनिक सेना समूह बीमा कोष में हर महीने 5,000 रुपये का योगदान करते हैं, जिससे उन्हें 50 लाख रुपये का बीमा मिलता है। अग्निवीरों का बीमा 48 लाख रुपये का है, लेकिन वे इस बीमा के प्रीमियम के लिए अपने वेतन से कोई योगदान नहीं देते हैं। बीमा राशि सभी सैनिकों और अग्निवीरों को दी जाती है, चाहे उनकी मृत्यु का कारण कुछ भी हो। तीनों सेनाओं ने बैंकों के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत अग्निवीरों सहित सभी रक्षा कर्मियों के वेतन को रक्षा वेतन पैकेज के तहत जमा किया जाता है। इन कर्मियों का बैंकों द्वारा उनकी नीतियों के अनुसार विभिन्न राशियों के लिए बीमा किया जाता है।

जिन अग्निवीरों की मृत्यु सैन्य सेवा के कारण हुई हो या ऑपरेशन के दौरान हुई हो उनके लिए 44 लाख रुपये की अनुग्रह राशि निर्धारित की गई है। वहीं नियमित सैनिक के लिए अनुग्रह राशि 25 लाख रुपये, 35 लाख रुपये या 45 लाख रुपये हो सकती है, जो हताहत की प्रकृति पर निर्भर करता है। अग्निवीरों या नियमित सैनिकों की मृत्यु अगर सैन्य सेवा के कारण नहीं हुई है तो वे किसी भी अनुग्रह राशि के लिए पात्र नहीं है। हालांकि राज्य सरकारों की ओर से दी जाने वाली अनुग्रह राशि राज्य के आधार पर शून्य से लेकर 1 करोड़ रुपये तक होती है। यह उन अग्निवीरों और नियमित सैनिकों दोनों पर लागू होती है जो या तो ड्यूटी पर मारे जाते हैं या विकलांग हो जाते हैं। इसके अलावा भी, अग्निवीरों और नियमित सैनिकों को ऑपरेशन के दौरान मृत्यु होने पर 8 लाख रुपये और किसी अन्य कारण से मृत्यु होने पर 2.5 लाख रुपये दिए जाते हैं।

सेवा निधि एक अंशदायी योजना है जो केवल अग्निवीरों के लिए लागू है। जिन लोगों की मृत्यु सैन्य सेवा के कारण नहीं हुई है उन्हें मृत्यु की तिथि तक जमा की गई राशि, सरकार के अंशदान और ब्याज के साथ मिलती है। ड्यूटी या ऑपरेशन के दौरान मरने वाले अग्निवीरों को सेवा निधि घटक सहित चार वर्ष तक की असेवा अवधि के लिए पूरा वेतन मिलता है।

कुछ लाभ केवल नियमित सैनिकों के लिए हैं। ग्रेच्युटी और मासिक पारिवारिक पेंशन केवल नियमित सैनिकों को ही उपलब्ध है। ग्रेच्युटी अधिकतम 25 लाख रुपये तक सीमित है। सैनिकों के परिवार को साधारण पारिवारिक पेंशन मिलती है, जो 10 साल तक के लिए अंतिम वेतन का 50% और उसके बाद 30% है। सैन्य सेवा के कारण होने वाली मौतों के मामले में, एक विशेष पारिवारिक पेंशन लागू होती है, जो सैनिक के अंतिम वेतन का 60% होती है। ऑपरेशन में मारे गए सैनिकों के लिए, एक उदार पारिवारिक पेंशन होती है, जो अंतिम वेतन का 100% होती है और परिवार को दी जाती है।

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