नई दिल्ली : आज से चातुर्मास शुरू हो रहा है. हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से चातुर्मास प्रारंभ हो जाता है, जो कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तक रहता है. इस अवधि में भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं और सृष्टि का संचालन भगवान शिव के हाथों में आ जाता है. चातुर्मास में सावन, भाद्रपद, अश्विन और कार्तिक माह शामिल होते हैं. चातुर्मास लगने के बाद शुभ व मांगलिक कार्य जैसे मुंडन संस्कार, विवाह, तिलक, यज्ञोपवीत जैसे 16 संस्कार बंद हो जाते हैं. देवउठनी एकादशी पर श्री हरि के योग निद्रा से बाहर ने के बाद शुभ व मांगलिक कार्य पुन: सक्रिय हो जाते हैं.
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल चतुर्मास बुधवार, 17 जुलाई से शुरू हो रहा है. चातुर्मास चार महीने तक लगा रहे है. फिर मंगलवार, 12 नवंबर को जब देवउठनी एकादशी पर जब भगवान विष्णु योग निद्रा से बाहर आएंगे, तब चातुर्मास का समापन होगा.
चातुर्मास के चार महीनों में मांगलिक और शुभ कार्य पूरी तरह से बंद हो जाते हैं. इस दौरान सगाई, शादी, मुंडन संस्कार, कर्णवेध संस्कार और गृह प्रवेश जैसे शुभ व मंगल कार्य निषेध माने जाते हैं. देवउठनी एकादशी पर जब श्री हरि भगवान विष्णु योग निद्रा से बाहर आते हैं तो चातुर्मास समाप्त होता है. इसके बाद सभी शुभ व मांगलिक कार्य पुन: सक्रिय हो जाते हैं. इस साल देवउठनी एकादशी 12 नवंबर को मनाई जाएगी.
चातुर्मास को व्रत और तपस्या का माह कहा जाता है. इन चार महीनों में साधु संत यात्राएं बंद करके मंदिर या अपने मूल स्थान पर रहकर ही उपवास और साधना करते हैं. इस समय केवल ब्रज धाम की यात्रा की जा सकती है.
चातुर्मास में आने वाले श्रावण मास में पालक या पत्तेदार सब्जियों से परहेज किया जाता है. इसके बाद भाद्रपद में दही, आश्विन में दूध और कार्तिक मास में लहसुन-प्याज का त्याग किया जाता है. चातुर्मास की अवधि में शहद, मूली, परवल और बैंगन खाने से भी परहेज करें. चातुर्मास मास में हमारा भोजन पूर्ण रूप से सात्विक होना चाहिए. इस दौरान पलंग पर शयन न करें. ऐसा करने से देवी-देवता नाराज हो जाते हैं.