लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को राजधानी लखनऊ में प्राकृतिक खेती के विज्ञान पर क्षेत्रीय परामर्श कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि देश के एक राज्य में कृषि कार्य में अत्यधिक फर्टिलाइजर के उपयोग का हश्र यह हुआ कि आज वहां से ‘कैंसर ट्रेन’ चलानी पड़ रही है।
उन्होंने कहा कि हरित क्रांति से कृषि उत्पादन जरूर बढ़ा, मगर ये अधूरा सच है। आज फर्टिलाइजर की अधिकता के कारण एक ‘धीमा जहर’ हमारी धमनियों में घुस रहा है। ये दुष्प्रभाव केवल मनुष्यों पर ही नहीं पड़ा है, बल्कि पशु-पक्षी भी इससे बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। देश में कई इलाके ऐसे भी थे, जहां प्राकृतिक ढंग से भी कृषि उत्पादन अधिक था। हमें बीज से लेकर बाजार तक कृषि उत्पादों के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखना होगा।
उन्होंने कहा कि यूपी में जल्द ही एक कृषि विश्वविद्यालय को प्राकृतिक खेती के लिए समर्पित किया जाएगा। हमें खेती को लेकर पिछले सौ-डेढ़ सौ वर्ष में जो पढ़ाया गया है, उसमें और पुराने समय के विज्ञान में कितना अंतर है। हमें इतिहास के पन्नों को फिर से पलटना होगा। हरित क्रांति के बाद जब खेती में फर्टिलाइजर का उपयोग हुआ तो कुछ समय तक उत्पादन तो बढ़ा, मगर आज एक स्लो प्वाइजन के रूप में वह हमारी धमनियों में घुसता जा रहा है।
सीएम योगी ने कहा कि फर्टिलाइजर का दुष्प्रभाव केवल मनुष्यों में ही नहीं देखने को मिल रहा, बल्कि पशु-पक्षी भी इससे प्रभावित हो रहे हैं। अमरोहा में निराश्रित गोवंश आश्रय स्थल में 12 से 14 गाय अचानक मर गईं, हमने वहां विशेषज्ञ भेजे तो ये पता लगा कि चारे में बड़े पैमाने पर फर्टिलाइजर मिला था, जिसके कारण उनकी मौत हुई। हमें समझना होगा कि जब गाय अत्यधिक फर्टिलाइजर को बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं है तो मनुष्य की स्थिति क्या होगी।
उन्होंने बताया कि बड़ी संख्या में लोग मुख्यमंत्री राहत कोष से इलाज के लिए धन की मांग करते हैं, इसमें सर्वाधिक मामले कैंसर के होते हैं। आज से कुछ साल पहले इतनी भयावह स्थिति नहीं थी। आज गांव-गांव में युवाओं में कोई किडनी, कोई हार्ट तो कोई कैंसर से पीड़ित हो गया है। इसका कारण है कि हमारा खानपान कहीं न कहीं प्रभावित हुआ है। इससे बचाव का नया मंत्र पीएम मोदी ने प्राकृतिक खेती का दिया है।