बीजिंग : दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी वाला देश चीन में इन दिनों अजीब विरोधाभास दिख रहा है। एक तरफ सरकार रेकॉर्ड लो बर्थ रेट को बढ़ाने की कोशिश में लगी है तो दूसरी ओर कुछ कंपनियां गर्भवती महिलाओं को नौकरी देने के लिए तैयार नहीं हैं। सरकारी मीडिया के मुताबिक एक दर्जन से अधिक कंपनियों के खिलाफ जांच चल रही है। इन कंपनियों पर नौकरी के लिए अप्लाई करने वाली महिलाओं को प्रेगनेंसी टेस्ट लेने का आरोप है। अगर ये आरोप सही पाए गए तो इन कंपनियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। चीन के नियमों के मुताबिक कंपनियां महिलाओं को प्रेगनेंसी टेस्ट के लिए नहीं कह सकती है। साथ ही गर्भवती महिला कामगारों के खिलाफ कोई भेदभाव नहीं कर सकती हैं।
चीन के सरकारी मीडिया के मुताबिक पूर्वी प्रांत जियांग्सु के शहर नानतोंग की कंपनियों पर महिलाओं का प्रेगनेंसी टेस्ट कराने का आरोप है। शहर की 16 कंपनियों ने 168 महिलाओं को नौकरी देने से पहले प्रेगनेंसी टेस्ट कराने को कहा था। नानतोंग की कंपनियों के बारे में एक ऑनलाइन पब्लिक लिटेगेशन ग्रुप ने अधिकारियों को बताया था। इसी शिकायत के आधार पर प्रॉसेक्यूटर्स ने जांच शुरू की थी। उन्होंने दो बड़े अस्पतालों और एक मेडिकल एग्जाम सेंटर का भी दौरा किया। रिपोर्ट के मुताबिक एक गर्भवती महिला को नौकरी देने से इन्कार किया गया था।
चीन के नियमों के मुताबिक लिंग के आधार पर भेदभाव करने वाली कंपनियों को 6,900 डॉलर तक जुर्माना लगाया जा सकता है। चीन में पिछले दो साल आबादी में गिरावट आई है। साल 2023 में देश का बर्थ रेट साल 1949 में चाइना रिपब्लिक बनने के बाद सबसे कम रहा। कई साल तक चीन में वन चाइल्ड पॉलिसी रही। हाल के वर्षों में चीन की सरकार ने इसे ट्रेंड को बदलने की कोशिश की लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। 2015 में सरकार ने दो बच्चे पैदा करने की अनुमति दी थी और 2021 में इसे तीन कर दिया था। चीन दुनिया के उन देशों में है जहां बच्चा पालना सबसे महंगा है। देश में 18 साल तक बच्चे को पालने की कॉस्ट देश की प्रति व्यक्ति आय से 6.3 गुना है।