अयोध्या : सावन माह का आरम्भ सोमवार से हो रहा है। इसके साथ ही कांवड़ यात्रा का भी शुभारम्भ हो जाएगा। इस दौरान अयोध्या में मां सरयू का पवित्र जल लेने के लिए लाखों की संख्या में कांवड़ यात्री आते हैं और जल लेकर अपने मनौती के शिवालयों में जलाभिषेक के लिए प्रस्थान करते हैं। यहां जलचढ़ी त्रयोदशी यानी सावन कृष्ण त्रयोदशी को सर्वाधिक भीड़ होती है। कांवड़िया श्रद्धालु सरयू में डुबकी लगाकर भीगे वस्त्र से नागेश्वर नाथ मंदिर में जलाभिषेक के बाद प्रमुख मंदिरों में दर्शन पूजन भी करते हैं। इसी सिलसिले में हनुमानगढ़ी में भीड़ के भारी दबाव को ध्यान में रखकर निकास द्वार को शनिवार से खोलने का फैसला किया गया है। इस मार्ग से वीआईपी दर्शन भी सुलभ हो सकेगा।
निकास द्वार अति संकरा होने के कारण जिला व पुलिस प्रशासन के अधिकारियों के सलाह पर हनुमानगढ़ी अखाड़े के पंचों ने निकास द्वार को चौड़ा कराने की योजना प्रस्तावित की थी। अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष व सांगरिया पट्टी के महंत ज्ञानदास महाराज के उत्तराधिकारी महंत संजय दास ने बताया कि निकास द्वार की चौड़ाई 20 फिट कर दी गई है। उन्होंने बताया कि ठेकेदार द्वारा 19 जुलाई को कार्य की फिनिशिंग के साथ हैंडओवर कर दिया जाएगा जिससे शनिवार से निकास द्वार को आम श्रद्धालुओं के उपयोग के लिए खोल दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि सीढ़ी के बगल दाहिने ओर खाली जगह पर विश्रामालय का निर्माण प्रस्तावित है जबकि बाईं तरफ मां दुर्गा एवं भगवान नृसिंह के मंदिरों का पुनर्निर्माण किया जाएगा। वहीं आवश्यकता के अनुसार यहां लिफ्ट भी लगाई जाएगी। फिलहाल दो लिफ्ट निर्माणाधीन है। इनमें एक लिफ्ट गद्दी नशीन महंत प्रेमदास व अन्य संतों के उपयोग के लिए है जबकि दूसरी दिव्यांग अथवा बूढ़े-बुजुर्ग श्रद्धालुओं के लिए आरक्षित रहेगी। उन्होंने बताया कि सावन मेला के दृष्टिगत अवशेष कामों को बाद में कराया जाएगा।
प्रयागराज में 2025 में आयोजित होने वाले महाकुंभ से पहले हनुमानगढ़ी अखाड़े के पंचों ने निर्वाणी अखाड़ा के श्रीमहंत/अध्यक्ष व महासचिव का विवाद सुलझा लिया। इसके कारण वैष्णव अखाड़ों को महाकुंभ की तैयारी कराने में सुविधा होगी। इसके पहले हनुमानगढ़ी अखाड़े की ओर से नियुक्त श्रीमहंत धर्मदास व महासचिव महंत गौरीशंकर को नियुक्त किया गया था। अखाड़े के पंचों एवं संकटमोचन सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत संजय दास ने बताया कि नियमावली के मुताबिक इस पद पर आसीन पदाधिकारियों का कार्यकाल 12 वर्ष तय है जिसके अंतर्गत दो महाकुंभ का शाही स्नान उन्हीं के नेतृत्व में होता है।
उन्होंने बताया कि महंत धर्मदास व महंत गौरीशंकर दास का कार्यकाल पूरा हो चुका था। इसके कारण नये पदाधिकारियों के चयन के लिए अखाड़े की बैठक में चक्रीय क्रम में जिस पट्टी का हक-पद था, उसके अनुसार हरिद्वारी पट्टी महंत मुरली दास को श्रीमहंत व महासचिव पद पर सांगरिया पट्टी के वरिष्ठ नागातीत सत्यदेव दास व उज्जैनिया पट्टी के वरिष्ठ नागातीत नंदराम दास को संयुक्त रूप से महासचिव नियुक्त किया गया है। उन्होंने बताया कि महाकुंभ मेला प्रशासन के समक्ष निवर्तमान महंत धर्मदास ने अपना समर्थन व्यक्त कर विवाद का पटाक्षेप करा दिया है। इसके पहले महाकुंभ मेला प्रशासन के सामने उभयपक्षों की ओर से प्रतिवेदन दिया गया था जिससे मेला प्रशासन ने उभयपक्षों से जवाब मांगा था जिसका निस्तारण हो गया है।