US की संसद में चीन-पाकिस्तान विरोधी विधेयक पेश, भारत को मिलेगा ‘नाटो’ जैसा दर्जा

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नई दिल्ली : अमेरिका के रिपब्लिकन सांसद मार्को रुबियो ने शुक्रवार को अमेरिकी सीनेट में पाकिस्तान और चीन विरोधी विधेयक पेश किया है. इसके पारित हो जाने के बाद भारत को नाटो देशों के समान दर्जा प्राप्त हो जाएगा, साथ ही अमेरिका भारत की मदद के लिए मजबूर रहेगा. इस विधेयक का उद्देश्य चीन के बढ़ते प्रभाव से निपटना है. साथ ही पाकिस्तान से पैदा होने वाले कथित खतरे से पार पाने के लिए भारत की मदद करना है. इस विधेयक में भारत के खिलाफ पाकिस्तान की तरफ से दी जाने वाली धमकियों के खिलाफ पाकिस्तान की मदद को रोकना है.

अमेरिकी सीनेट में पेश यूएस-इंडिया डिफेंस कोऑपरेशन एक्ट भारत को ‘प्रौद्योगिकी हस्तांतरण’ करने का समर्थन करता है. इसके अलावा प्रशासन से ‘भारत के साथ वैसा ही व्यवहार करने का आग्रह करता है, जैसे कि अमेरिका- इजरायल, दक्षिण कोरिया और नाटो सदस्य देशों के साथ रखता है. इस विधेयक को फ्लोरिडा सीट से रिपब्लिकन पार्टी के सांसद मार्को रूबियो ने किया है. रूबियो इस सीट पर साल 2011 से काबिज हैं और देश के पॉवरफुल सांसद हैं.

साल 2013 में रूबियो ने बराक ओबामा के स्टेट ऑफ द यूनियन संबोधन पर रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से प्रतिक्रिया दी थी. साल 2015 में रुबियो राष्ट्रपति पद के चुनाव में भी शामिल हो चुके हैं. कई जगहों से वे प्राइमरी चुनाव भी जीते, लेकिन साल 2016 में वे राष्ट्रपति पद की दौड़ से बाहर हो गए. अमेरिका सांसद ने चीन का मुकाबला करने के लिए अमेरिका-भारत साझेदारी को मजबूत करने के लिए प्रस्ताव रखा है. उनका कहना है कि चीन से मुकाबला करने के लिए नई दिल्ली के साथ रणनीतिक, आर्थिक और सैन्य संबंधों को बढ़ाना आवश्यक है.

इस प्रस्ताव में यह भी शामिल है कि यदि पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधि अपनाता है तो पाकिस्तान की मदद को रोकना चाहिए. इस विधेयक में ऐसे एडवांस हथियार भारत को देने की बात कही गई है, जो सिर्फ नाटो देशों के लिए आरक्षित हैं. ऐसे में यदि यह विधेयक अमेरिका में पास हो जाता है तो पाकिस्तान को बड़ा झटका लग सकता है. साथ ही चीन और पाकिस्तान के खिलाफ भारत को बड़ी मदद मिल सकती है. हालांकि, विशेषतज्ञों का मानना है कि यह विधेयक अमेरिकी सदन में इस बार पास नहीं हो सकता है, क्योंकि जल्द ही सदन का सत्र समाप्त होने वाला है. लेकिन भारत-अमेरिका संबंधों को बढ़ाने के लिए दोनों दलों का समर्थन है, ऐसे में इसे अगली कांग्रेस में फिर से पेश किया जा सकता है.

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