नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक ने पुराने होम और गोल्ड लोन पर फिर से अतिरिक्त कर्ज (टॉप-अप) देने की प्रवृत्ति पर सख्त रुख अपनाया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास ने गुरुवार को कहा कि टॉप-अप कर्ज में नियामकीय आवश्यकताओं का पालन द्वारा नहीं किया जा रहा है। इस तरह की कर्ज राशि का उपयोग गैर-उत्पादक क्षेत्रों में या सट्टेबाजी के उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद दास ने कहा कि बैंकों और एनबीएफसी को टॉप-अप प्रक्रियाओं की समीक्षा करने और सुधारात्मक कार्रवाई करने की सलाह दी जाती है। साथ ही टॉप-अप के संबंध में धन के अंतिम उपयोग की निगरानी से संबंधित नियामकीय निर्देशों का पालन करना चाहिए। आरबीआई गर्वनर ने कहा कि आवास ऋण के ऊपर अतिरिक्त कर्ज (टॉप-अप) में वृद्धि सभी बैंकों का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह कुछ इकाइयों तक ही सीमित है। इन इकाइयों द्वारा नियामकीय अनुपालन नहीं किया जा रहा है।
लोन या उधार देने के नाम पर लोगों से धोखाधड़ी करने वाले डिजिटल ऐप शिकंजा करने के लिए आरबीआई सार्वजनिक रिपॉजिटरी बनाएगा। दास ने कहा कि डिजिटल कर्ज के माध्यम से ठगने वाले लोग आरबीआई के साथ अपने जुड़ाव का झूठा दावा करते हैं। इनके इस दावे को अब सार्वजनिक रिपॉजिटरी की मदद से जांचा जा सकेगा। यह रिपॉजिटरी आरबीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध होगी। नियमित संस्थान जब भी नए ऐप को जोड़ेंगे या हटाएंगे तो इसे अपडेट कर दिया जाएगा।
आरबीआई ने बैंकों या ऋण संस्थाओं को कर्ज लेने वाले ग्राहकों के ऋण की सूचना अब प्रत्येक 15 दिन या उससे भी कम अंतराल पर देने का निर्देश दिया है। वर्तमान में ऋण संस्थाओं को अपने उधार लेने वाले ग्राहकों के ऋण की सूचना मासिक अंतरात पर देना आवश्यक है। दास ने कहा कि पाक्षिक रिपोर्टिंग यह सुनश्चिति करेगी कि ऋण सूचना रिपोर्ट में अधिक नवीनतम जानकारी हो। यह ऋण लेने वालों और ऋण देने वालों दोनों के लिए लाभदायक होगा। उधार लेने वालों को सूचना के तेजी से अपडेट होने का लाभ मिलेगा, खासकर तब जब उन्होंने ऋण चुका दिया हो।
आरबीआई ने यूपीआई के जरिये कर भुगतान करने की सीमा एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दी है। वर्तमान में यह सीमा एक लाख रुपये है। दास ने कहा कि इस संबंध में आवश्यक निर्देश अलग से जारी किए जाएंगे। साथ ही यूपीआई में ‘डेलिगेटेड पेमेंट्स’ शुरू करने का भी प्रस्ताव है। इसमें एक व्यक्ति (प्राथमिक उपयोगकर्ता) को किसी अन्य व्यक्ति (द्वितीयक उपयोगकर्ता) के लिए यूपीआई लेनदेन सीमा निर्धारित करने की अनुमति मिलेगी।