नई दिल्ली: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। कहते हैं जो भी व्यक्ति एकादशी का व्रत रखता है उसे भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है। साल भर में कुल 24 एकादशियां होती है लेकिन अधिकमास या मलमास आता है तो इनकी संख्या बढ़कर छब्बीस हो जाती है। हालांकि इन दोनों ही एकादशियों का समान रूप से महत्व है। वहीं सावन माह में आने वाली एकादशी व्रत का भी खास महत्व होता है। सावन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पुत्रदा एकादशी का व्रत करने का विधान है।
गौरतलब है कि पुत्रदा एकादशी साल में दो बार आती है एक सावन माह के शुक्ल पक्ष में और दूसरा पौष मास के शुक्ल पक्ष में। इन दोनों ही एकादशियों का समान रूप से महत्व है। जो लोग संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं या जिनकी पहले से संतान है और उनकी तरक्की चाहते हैं उन लोगों को पुत्रदा एकादशी का व्रत रखना चाहिए। इस साल सावन में पुत्रदा एकादशी का व्रत 16 अगस्त 2024 को रखा जाएगा।
पुत्रदा एकादशी 2024 व्रत शुभ मुहूर्त और पारण का समय
सावन शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि आरंभ- 15 अगस्त 2024 को सुबह 10 बजकर 26 मिनट से
सावन शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि समाप्त- 16 अगस्त 2024 को सुबह 9 बजकर 39 मिनट पर
पुत्रदा एकादशी 2024 व्रत तिथि- 16 अगस्त 2024
पुत्रदा एकादशी पारण का समय- 17 अगस्त को सुबह 5 बजकर 51 मिनट से सुबह 8 बजकर 5 मिनट तक
द्वादशी तिथि समाप्त- 17 अगस्त 2024 को सुबह 8 बजकर 5 मिनट पर
एकादशी पारण नियम
एकादशी के व्रत को समाप्त करने को पारण कहते हैं। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना अति आवश्यक है। यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गई हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है। द्वादशी तिथि के अंदर पारण न करना पाप करने के समान होता है।