नई दिल्ली : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मंगलवार को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज की द्वितीय वर्ष की पीजी छात्रा के कथित यौन उत्पीड़न का स्वत: संज्ञान लिया है। आयोग की ओर से कहा गया था कि 9 अगस्त को कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के सेमिनार हॉल में एक जूनियर महिला डॉक्टर मृत पाई गई थी। ऐसे में यह गंभीर मामला है।
आयोग ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट अगर सत्य है तो पीड़ित के मानवाधिकारों के उल्लंघन का गंभीर मुद्दा उठाती है। आयोग ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। एनएचआरसी के बयान में आगे कहा गया है कि आयोग यह भी जानना चाहेगा कि अधिकारियों ने ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए क्या कदम उठाए हैं। आयोग ने उम्मीद जताई कि रिपोर्ट में पुलिस द्वारा की जा रही जांच की वर्तमान स्थिति और जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के साथ-साथ मृतक के परिजनों को दिए जाने वाले मुआवजे को भी शामिल किया जाएगा।
इससे पहले बलात्कार और हत्या की शिकार ट्रेनी डॉक्टर के परिवार के सदस्यों ने मंगलवार को कलकत्ता हाई कोर्ट में एक याचिका लगा कर मांग की कि मामले की अदालत की निगरानी में जांच की जाय। पीड़िता के परिवार के सदस्यों ने याचिका में मामले की जांच की प्रगति पर संदेह जताया है और यह भी दावा किया कि कई संदिग्धों को जांच के दायरे से बाहर रखा गया है। इसलिए, उन्होंने अदालत से आग्रह किया है कि सच्चाई को सामने लाने के लिए केवल अदालत की निगरानी में जांच आवश्यक है।
बता दें कि पिछले दिनों कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल की महिला डॉक्टर रहस्यमय परिस्थितियों में मृत पाई गई। वह अस्पताल में स्नातकोत्तर द्वितीय वर्ष की मेडिकल छात्रा थीं और चेस्ट मेडिसिन विभाग में हाउस स्टाफ के रूप में भी काम कर रही थीं। अस्पताल के कर्मचारियों ने अस्पताल की आपातकालीन बिल्डिंग की चौथी मंजिल पर उनका शव देखा था। प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मामले को फास्ट-ट्रैक कोर्ट में ले जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।