पूरी हुई सनी देओल राजकुमार संतोषी की लाहौर 1947, गदर-2 से हटकर है भूमिका

0 93

लाहौर 1947 हाल के दिनों में सबसे प्रतीक्षित परियोजनाओं में से एक है, जिसमें कैमरे के सामने और पीछे दोनों ही तरह की प्रतिभाओं को एक साथ लाया गया है। आमिर खान प्रोडक्शंस के बैनर तले बनी इस फिल्म में सनी देओल, राजकुमार संतोषी और आमिर खान की ड्रीम टीम पहली बार एक साथ काम कर रही है। फिल्म को लेकर दर्शकों में जबरदस्त उत्साह बना हुआ है। प्रशंसक इस फिल्म को जल्द से जल्द सिनेमाघरों में देखना चाहते हैं। प्राप्त समाचारों के अनुसार लाहौर 1947 बिना किसी ब्रेक के 70 दिनों के गहन शेड्यूल के बाद आखिरकार फिल्म पूरी हो गई है।

प्रोडक्शन से जुड़े एक सूत्र के अनुसार, “लाहौर 1947 की शूटिंग 70 दिनों के गहन शेड्यूल के बाद पूरी हो गई है। शेड्यूल बिना किसी ब्रेक के पूरा किया गया है। दिग्गज अभिनेताओं को फिल्म में जादुई गुणवत्ता लाते देखना एक शानदार अनुभव रहा है। एक बार जब एडिट लॉक हो जाएगा, तो कुछ दिनों के पैच वर्क होंगे… लेकिन मोटे तौर पर फिल्म की शूटिंग पूरी हो चुकी है।”

गौरतलब है कि हाल ही में निर्माताओं ने खुलासा किया था कि फिल्म के ग्रैंड फिनाले में एक शानदार ट्रेन सीक्वेंस शामिल है – विभाजन के दौर के बारे में किसी भी फिल्म में अब तक का सबसे महत्वाकांक्षी और विस्तृत दृश्य। यह दृश्य कहानी कहने के लिए नए मानक स्थापित करने की उम्मीद है, जो उस समय के अराजक और भावनात्मक रूप से आवेशित माहौल को बेजोड़ विस्तार और तीव्रता के साथ प्रस्तुत करता है।

लाहौर 1947 का निर्माण आमिर खान ने अपने होम प्रोडक्शन के माध्यम से किया है। वे फिल्म के हर दृश्य पर बतौर निर्माता बारीक से नजर रखे रहे हैं। फिल्म का निर्देशन राजकुमार संतोषी ने किया जो इन दोनों सितारों के साथ पहले भी काम कर चुके हैं। सनी देओल के साथ उन्होंने जहाँ घायल, घातक और दामिनी को बनाया, वहीं आमिर खान के साथ उन्होंने कल्ट क्लासिक फिल्म अंदाज अपना अपना को बनाया है। इस फिल्म में हीरो : द स्पाई के बाद एक बार फिर से सनी देओल और प्रीति जिंटा की जोड़ी परदे पर दिखाई देगी।

सनी देओल की लाहौर 1947 निर्देशक अनिल शर्मा की गदर-2 से पूरी तरह से अलग फिल्म है। हालांकि इसके क्लाइमैक्स में ट्रेन सीक्वेंस को लेकर दर्शकों का कहना है कि संतोषी, जिन्होंने हाल ही में ना है कि संतोषी, जिे कहा कि, रही ह हाल ही में प्रदशिबताया था कि लाहौर 1947 के क्लाइमैक्स में एक ट्रेन सीक्वेंस रखा गया है, तभी से दर्शक इसकी तुलना गदर के ट्रेन सीक्वेंस से करने लगे हैं। अब देखने वाली बात यह है कि 24 वर्ष पूर्व आई गदर के इस दृश्य ने जो प्रभाव अन्त में छोड़ा था, वह संतोषी अपनी फिल्म में कितने अलग अंदाज में और किस तरह से दर्शकों के सामने पेश करते हैं यह फिल्म के प्रदर्शन के बाद पता चलेगा।

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया Vnation के Facebook पेज को LikeTwitter पर Follow करना न भूलें...
Leave A Reply

Your email address will not be published.