ISRO ने कर एक ओर कर दिखाया कमाल, लॉन्च किया SSLV मिशन का अंतिम रॉकेट

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नई दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से एसएसएलवी-डी3/ईओएस-08 मिशन का तीसरा और अंतिम रॉकेट को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया। SSLV-D3 ने EOS-08 को कक्षा में सटीक रूप से स्थापित किया। इसरो के लिए यह बड़ी सफलता है। उपग्रह को सफलतापूर्वक लॉन्च करने के बाद अंतरिक्ष एजेंसी के प्रमुख एस सोमनाथ ने एसएसएलवी के विकास कार्य के पूरा होने की घोषणा की। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि छोटे-लिफ्ट लॉन्च व्हीकल, एसएसएलवी-डी3/ईओएस-08 की तीसरी और अंतिम उड़ान सफलतापूर्वक पूरी हो गई है। उन्होंने कहा कि रॉकेट ने अंतरिक्ष यान को ठीक उसी कक्षा में स्थापित कर दिया है, जैसा कि योजना बनाई गई थी। इंजेक्शन स्थितियों में कोई विचलन नहीं हुआ।

आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शुक्रवार सुबह लगभग 9 बजकर 17 मिनट पर 500 किलोग्राम की वहन क्षमता वाले एसएसएलवी ने 175.5 किलोग्राम वजन वाले माइक्रोसैटेलाइट ईओएस-08 को लेकर उड़ान भरी। सैटेलाइट का जीवनकाल एक साल तय किया गया है। इसरो के अनुसार, प्रस्तावित मिशन एसएसएलवी विकास परियोजना को पूरा करेगा। इसके बाद इसका इस्तेमाल भारतीय उद्योग और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड के मिशनों के लिए किया जाएगा।

एसएसएलवी रॉकेट मिनी, माइक्रो या नैनो उपग्रहों (10 से 500 किलोग्राम द्रव्यमान) को 500 किमी की कक्षा में लॉन्च करने में सक्षम है। रॉकेट के तीन चरण ठोस ईंधन द्वारा संचालित होते हैं जबकि अंतिम वेलोसिटी ट्रिमिंग मॉड्यूल (वीटीएम) में तरल ईंधन का इस्तेमाल होता है। उड़ान भरने के ठीक 13 मिनट बाद रॉकेट ईओएस-08 को उसकी कक्षा में छोड़ेगा और लगभग तीन मिनट बाद एसआर-0 अलग हो जाएगा। दोनों सैटेलाइट 475 किमी की ऊंचाई पर रॉकेट से अलग होंगे।

चेन्नई स्थित अंतरिक्ष क्षेत्र के स्टार्टअप स्पेस रिक्शा के लिए एसआर-0 उसका पहला सैटेलाइट होगा। स्पेस रिक्शा की सह-संस्थापक और स्पेस किड्ज इंडिया की संस्थापक-सीईओ केसन ने बताया कि “हम छह और सैटेलाइट बनाएंगे”। इस बीच, इसरो ने कहा कि ईओएस-08 मिशन के प्राथमिक उद्देश्यों में माइक्रो सैटेलाइट को डिजाइन करना और विकसित करना शामिल है। साथ ही माइक्रो सैटेलाइट बस के साथ अनुरूप पेलोड उपकरण बनाना और भविष्य के परिचालन उपग्रहों के लिए आवश्यक नई प्रौद्योगिकियों को शामिल करना भी शामिल है।

इसरो ने एक बयान में बताया कि ईओएस-8 अभियान का प्राथमिक उद्देश्य सूक्ष्म उपग्रह का डिजाइन तैयार करना, पेलोड उपकरण बनाना और भविष्य के उपग्रहों के लिए आवश्यक नयी प्रौद्योगिकियों को शामिल करना हैं। इसरो ने बताया कि इस अंतरिक्ष यान के मिशन की अवधि एक वर्ष है। इसका वजन लगभग 175.5 किलोग्राम है और यह लगभग 420 वॉट की शक्ति उत्पन्न करता है।

आईओआईआर पेलोड को तस्वीरें खींचने के लिए तैयार किया गया है। यह पेलोड मध्यम-वेव आईआर (एमआईआर) और दीर्घ-वेव-आईआर (एनडब्ल्यूआईआर) बैंड में दिन और रात के समय तस्वीरें खींच सकता है। इसका इस्तेमाल उपग्रह आधारित निगरानी, ​​आपदा निगरानी, ​​पर्यावरण निगरानी, ​​आग लगने का पता लगाने, ज्वालामुखी गतिविधि अवलोकन तथा औद्योगिक एवं विद्युत संयंत्र आपदा निगरानी जैसे कार्यों के लिए किया जा सकेगा।

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