जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों को भी आरक्षण, पहली बार चुने जाएंगे SC-ST विधायक

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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर से धारा 370 के हटने और केंद्र शासित राज्य बनने के पांच साल बाद विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान (Announcement of dates for assembly elections) हो गया है. पांच अगस्त 2019 के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद से जम्मू कश्मीर उपराज्यपाल के प्रशासन के आधीन रहा है, लेकिन धारा 370 के हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में यह पहला मौका होगा जब घाटी के लोग विधानसभा चुनाव में हिस्सा लेंगे. पांच सालों में जम्मू-कश्मीर में कई बड़े बदलाव हो चुके हैं. निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन बदल गया है तो पहली बार अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जाति के लिए सीटें आरक्षित की गई हैं. इसके अलावा कश्मीरी पंडितों के लिए दो सीटें रिजर्व रखी गई हैं. इस तरह सिर्फ सीटें ही नहीं बढ़ी बल्कि बहुत कुछ बदल गया है.

केंद्र शासित राज्य बनने के बाद जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में विधानसभा चुनाव होंगे. निर्वाचन आयोग के मुताबिक राज्य की सभी 90 विधानसभा सीटों पर तीन चरणों में वोटिंग होगी, जिसमें 8 सितंबर को पहले चरण के लिए 24 सीट पर चुनाव हैं तो 25 सितंबर को दूसरे चरण के लिए 26 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. इसके बाद एक अक्टूबर को तीसरे चरण के लिए 40 सीट पर मतदान होगा. इसके बाद नतीजे चार अक्टूबर को सभी 90 सीटों पर एक साथ आएंगे.

धारा 370 हटने और केंद्र शासित राज्य बनने के बाद जम्मू-कश्मीर में नए सिरे से हुए परिसीमन हुआ. इस बार इसी के तहत चुनाव हो रहे हैं. पिछली बार की तुलना में जम्मू में छह और कश्मीर में एक विधानसभा सीट समेत कुल सात विधानसभा सीटें बढ़ गई हैं. जम्मू-कश्मीर में परिसीमन के चलते विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो गई है. जम्मू-कश्मीर में परिसीमन के बाद बढ़ी सात सीटों में जम्मू क्षेत्र की विधानसभा सीटें 37 से बढ़कर 43 और कश्मीर की 46 से 47 हो गई हैं. इसके साथ पहली बार अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए 16 सीटें रिजर्व की हैं. इनमें से अनुसूचित जाति के लिए 7 और अनुसूचित जनजाति के लिए 9 सीटें रखी गई हैं.

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के अनुसार जम्मू-कश्मीर की विधानसभा सीटों की कुल संख्या 107 से बढ़ाकर 114 कर दी गई हैं, जिनमेंसे 24 सीटें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी पीओके के लिए आरक्षित हैं. पीओके के लिए आरक्षित ये 24 सीटें खाली रहेंगी. आदिवासी और दलित समुदाय के लिए 16 विधानसभा सीटें जम्मू-कश्मीर में रिजर्व रखेंगी. अनुसूचित जातियों के लिए 7 सीटें और अनुसूचित जनजातियों के लिए 9 सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है. इस तरह से राज्य में 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव होंगे, जिनमें से 74 सामान्य, 9 एसटी और 7 एससी सीट है.

जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के लिए दो सीटें रिजर्व रखी गई हैं. इन्हें कश्मीरी प्रवासी कहा गया है. अब उपराज्यपाल विधानसभा के लिए तीन सदस्यों को नामित कर सकेंगे, जिनमें से दो कश्मीरी प्रवासी और एक पीओके से विस्थापित व्यक्ति होगा. जिन दो कश्मीरी प्रवासियों को नामित किया जाएगा, उनमें से एक महिला होगी. ऐसे में कश्मीरी पंडितों को विधानसभा में प्रतिनिधित्व देने के लिए मनोनीत की व्यवस्था रखी गई है.

जम्मू इलाके में सांबा, कठुआ, राजौरी, किश्तवाड़, डोडा और उधमपुर में एक-एक सीट बढ़ाई गई है. वहीं, कश्मीर क्षेत्र में कुपवाड़ा जिले में एक सीट बढ़ाई गई है. जम्मू के सांबा में रामगढ़, कठुआ में जसरोता, राजौरी में थन्ना मंडी, किश्तवाड़ में पड्डेर-नागसेनी, डोडा में डोडा पश्चिम और उधमपुर में रामनगर सीट नई जोड़ी गईं हैं. वहीं, कश्मीर रीजन में कुपवाड़ा जिले में ही एक सीट बढ़ाई गई है. कुपवाड़ा में त्रेहगाम नई सीट होगी. अब कुपवाड़ा में 5 की बजाय 6 सीटें होंगी. इस तरह से राज्य में सरकार बनाने के लिए 46 सीटें जीतने का लक्ष्य तय करना होगा. जम्मू और कश्मीर क्षेत्र में अब बहुत ज्यादा सीटों का अंतर नहीं रह गया है. जम्मू क्षेत्र में बीजेपी का दबदबा है तो कश्मीर क्षेत्र में क्षेत्रीय पार्टियों का वर्चस्व है.

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