नई दिल्ली : भारत किसी एक का पक्ष नहीं लेगा, लेकिन वह शांति के पुल की तरह काम करेगा। शुक्रवार को यूक्रेन यात्रा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह बड़ा संदेश दिया है। आपको बता दें कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच पीएम मोदी पहले ऐसे वैश्विक नेता हैं, जिनकी मेजबानी दोनों देशों ने की है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि पीएम मोदी ने कहा कि वे ज़ेलेंस्की के साथ चल रहे यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान पर अपने विचार साझा करेंगे। इससे पहले उन्होंने पोलैंड में भी दोहराया कि “यह युद्ध का युग नहीं है।” पीएम मोदी ने यह बात 2022 में सबसे पहले व्लादिमीर पुतिन से कहा था। फिर 2023 में वाशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की मौजूदगी में भी दोहराया था।
पिछले महीने ही ज़ेलेंस्की ने पीएम मोदी की मॉस्को यात्रा की कड़ी आलोचना की थी और पुतिन को दुनिया के सबसे ख़ूंखार अपराधी बताते हुए पीएम मोदी द्वारा उन्हें गले लगाने पर अपनी निराशा व्यक्त की थी। हालांकि, जेलेंस्की अब कीव में पीएम मोदी का स्वागत करने के लिए बेताब हैं। इस बात की संभावना है कि प्रधानमंत्री मोदी ज़ेलेंस्की को भी वही संदेश देंगे जो उन्होंने इस जुलाई में पुतिन को दिया था। उन्होंने कहा था कि युद्ध के मैदान में कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है।
रूस और यूक्रेन की यात्राओं के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए अमेरिका की बहुप्रतीक्षित यात्रा पर जाएंगे। यहां से वह दुनिया को संदेश दे सकते हैं और दोनों देशों के बीच युद्ध को खत्म करने की कोशिश करेंगे।
आपको यह भी बता दें कि कोई भारतीय प्रधानमंत्री तीन दशक से ज्यादा समय के बाद यूक्रेन का दौरा कर रहा है। हालांकि पीएम मोदी और ज़ेलेंस्की पिछले तीन सालों में तीन बार मिल चुके हैं। 2020 से वे कई बार फोन पर एक-दूसरे से बात भी कर चुके हैं। इस मार्च की शुरुआत में यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा भारत आए थे।
अपनी पहली यूक्रेन यात्रा में शांति की वकालत पीएम मोदी का शीर्ष एजेंडा होगा। सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह स्थायी शांति के लिए बातचीत के ज़रिए समाधान तक पहुंचने के लिए कूटनीति और संवाद के पक्ष में है। पीएम मोदी ने पहले भी इस बात की पेशकश की है कि शांतिपूर्ण समाधान खोजने में मदद के लिए हर संभव सहायता और योगदान दिया जाएगा।
सरकार ने इस हफ्ते एक आधिकारिक ब्रीफिंग में कहा कि भारत के रूस और यूक्रेन के साथ ठोस और स्वतंत्र संबंध हैं। सरकार ने कहा था, “ये साझेदारियां अपने आप में खड़ी हैं। मैं यह कहना चाहूंगा कि यह कोई शून्य-योग खेल नहीं है।”