केंद्रीय सूची में शामिल OBC जातियां भी दिल्ली सरकार और नगर निगम की नियुक्तियों में आरक्षण की हकदार: सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्‍ली : सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि केंद्रीय सूची में शामिल अन्य पिछड़ा वर्ग की जातियां भी दिल्ली सरकार और नगर निगम में होने वाली नियुक्तियों में आरक्षण की हकदार है। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने नगर निगम के स्कूलों में विशेष शिक्षकों के पद पर नियुक्ति में आरक्षण पाने के लिए ओबीसी (केंद्रीय) प्रमाण पत्र को सही बताया था।

जस्टिस बी.आर. गवई और के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (डीएसएसएसबी) की अपील खारिज कर दी। हाल ही में पारित फैसले में पीठ ने कहा कि हम हाईकोर्ट द्वारा जनवरी 2024 में पारित फैसले व आदेश में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं।

सुप्रीम कोर्ट में पेश मामले के अनुसार, डीएसएसएसबी ने मार्च 2021 में दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में विशेष शिक्षक पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन मांगा था। इस भर्ती में तान्या अंसारी ने भी ओबीसी श्रेणी में आवेदन किया था। केंद्र सरकार ने अगस्त 2011 में अंसारी जाति को ओबीसी की सूची में शामिल किया था। जनवरी, 2022 में डीएसएसएसबी ने कंप्यूटर आधारित परीक्षा का परिणाम जारी किया और सभी सफल उम्मीदवारों को अपने दस्तावेज (ई-डोजियर) वेबसाइट पर अपलोड करने का आदेश दिया।

भर्ती परीक्षा में सफल होने वाली तान्या अंसारी ने भी अपना दस्तावेज अपलोड किया और आरक्षण का लाभ पाने के लिए ओबीसी (केंद्रीय) प्रमाण पत्र भी अपलोड किया। डीएसएसएसबी ने अंसारी द्वारा अपलोड किए गए ओबीसी (केंद्रीय) प्रमाण पत्र को दिल्ली नगर निगम में नौकरियों के लिए अस्वीकार कर दिया। दिल्ली सरकार ने भी 1995 में ही अधिसूचना जारी कर अंसारी जाति को ओबीसी की श्रेणी में शामिल किया था। हालांकि बाद में तान्या अंसारी ने दिल्ली सरकार से भी ओबीसी का प्रमाण पत्र बनवाकर जमा करवाया, लेकिन डीएसएसएसबी ने इसे यह कहते हुए मंजूर करने से इनकार कर दिया कि यह कटआफ तारीख के बाद का बना है। साथ ही, ओबीसी श्रेणी में उसकी उम्मीदवारी रद्द कर दी.

डीएसएसएसबी के इस फैसले के खिलाफ तान्या अंसारी ने अधिवक्ता अनुज अग्रवाल के जरिए केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) में चुनौती दी। अगस्त 2023 में न्यायाधिकरण ने अंसारी के हक में फैसला दिया। इस फैसले के खिलाफ डीएसएसएसबी ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की। हाईकोर्ट ने भी जनवरी, 2024 में उसकी अपील खारिज कर दी। इस फैसले के खिलाफ डीएसएसएसबी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की थी।

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