जन्माष्टमी-व्रत कर रहे भक्त ये नियम जान लें, विधिवत पूजन से श्रीकृष्ण अवश्य करेंगे कृपा

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आस्था का महापर्व ‘जन्‍माष्‍टमी’ हर साल भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन मनाई जाती है। कहते हैं, भक्तों की सच्ची भक्ति से प्रसन्न होकर बांके बिहारी भी उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं और उनके सभी दुख हर लेते हैं। अगर आप भी इस बार पहली बार जन्माष्टमी का व्रत रखने जा रहे हैं, तो कुछ जरूरी नियमों पर एक नजर अवश्य डाल लें।

कृष्ण आस्था का महापर्व ‘जन्‍माष्‍टमी’ (Janmashtami) 26 अगस्त, सोमवार के दिन पूरे देशभर मनाया जाएगा। जैसा कि, आप जानते है कि जन्माष्टमी का व्रत कठिन व्रतों में से एक है। इस दिन देशभर में लाखों भक्त श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर उपवास रखते हैं। विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं, ताकि कान्हा को प्रसन्न किया जा सके।

व्रत के इन जरूरी नियमों को जान लीजिए आप
भक्तों की सच्ची भक्ति से प्रसन्न होकर बांके बिहारी भी उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं और उनके सभी दुख हर लेते हैं। अगर आप भी इस बार पहली बार जन्माष्टमी का व्रत रखने जा रहे हैं, तो कुछ जरूरी नियमों पर एक नजर अवश्य डाल लें।

नियमानुसार व्रत रखने से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। ऐसे में आइए जानें व्रत के दौरान किन बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। ताकि आपको व्रत का पूरा फल मिल सके।
ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, श्री कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और श्रीकृष्ण के आगे व्रत का संकल्प करें। यह संकल्प आप हाथों में तुलसी की एक पत्ती पकड़ कर करें और साथ ही व्रत के दौरान होने वाली किसी भी भूल के लिए पहले ही क्षमा मांग लें।
यदि आप विवाहित हैं तो उपवास रखने के एक रात्रि पूर्व आपको ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। खासतौर पर रात्रि 12 बजे के बाद से ही आपका उपवास प्रारंभ हो जाता है और यह अगले दिन रात में 12 बजे ही श्री कृष्‍ण के जन्‍म के बाद ही खुलता है।
ज्योतिषियों के अनुसार, जन्‍माष्‍टमी के व्रत में आप सारे फलों का सेवन कर सकते हैं, मगर इस दिन श्री कृष्‍ण के जन्‍म से पूर्व खीरा नहीं काटना चाहिए। दरअसल, खीरे की स्‍टेम कट करके ही श्रीकृष्ण का जन्म होता है। ऐसा कहा जाता है खीरे की स्‍टेम को बच्चे की नाल समझ कर श्री कृष्‍ण जन्‍म के वक्त काटा जाता है।
इस दिन आप पानी में तुलसी की पत्ती डालकर उसका सेवन करें। इतना ही नहीं, आपको तुलसी की भी इस दिन विधि विधान से पूजा करनी चाहिए और श्रीकृष्ण के हर भोग में तुलसी का पत्ता जरूर रखना चाहिए।
कहते है जन्‍माष्‍टमी के दिन आप भगवान श्री विष्णु की अवश्य पूजा करें और उन्हें तिल अर्पित करें। वहीं मध्याह्न के समय खुद तिल के पानी से स्नान करें, ऐसी मान्‍यता है कि इस समय से श्री कृष्ण की माता देवकी जी को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई थी और फिर रात्रि में श्री कृष्ण का अवतार हुआ था।
जन्‍माष्‍टमी के एक दिन पहले सात्विक भोजन करें और फिर दूसरे दिन उपवास रखें।

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