उज्जैन : जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्री कृष्ण को समर्पित रहता है. क्योंकि इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल की पूजा आराधना की जाती है. माना जाता है कि लड्डू गोपाल की पूजा आराधना करने से घर में सुख समृद्धि की वृद्धि होती और संतान इच्छुक दम्पति को संतान के रूप मे पुत्र की प्राप्ति होती है. किसी भी देवी देवताओं की पूजा आराधना में उनका प्रिय भोग अवश्य लगाना चाहिए. इससे भगवान जल्द प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.
ज्योतिषाचार्य ने कहा कि हर साल जन्माष्टमी भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. इस साल जन्माष्टमी का व्रत 26 अगस्त दिन सोमवार को रखा जाएगा. जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल की पूजा आराधना की जाती है. अगर भक्त का कोई भी कार्य बनते बनते बिगड़ जा रहा है या फिर समस्या उत्पन्न हो रही है तो फिर लड्डू गोपाल को उनका प्रिय भोग अवश्य लगाएं.
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि लड्डू गोपाल को प्रिय भोग लगाने से वह बेहद प्रसन्न होते हैं, क्योंकि वह छुप छुप कर माखन खाते ही रहते हैं. इसलिए तो उन्हें प्यार से माखन चोर भी कहते हैं. लड्डू गोपाल का प्रिय भोग माखन मिश्री है. उसके बाद मखाने की खीर का भोग अवश्य लगाना चाहिए. इसके साथ ही नारियल का लड्डू भी चढ़ा सकते हैं. ज्योतिषाचार्य भी बताते हैं कि भोग में तुलसी का पत्ता अवश्य डालें. तुलसी को माता लक्ष्मी का रूप माना गया है. बिना तुलसी के पत्ते का भोग लगाने से भोग अधूरा माना जाता है.
पंडित बताते हैं कि 26 अगस्त दिन सोमवार को रोहिणी नक्षत्र अष्टमी तिथि पड़ने जा रही है, इसलिए इसी दिन जन्माष्टमी का व्रत रखा जाएगा. क्योंकि भगवान श्री कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र अष्टमी तिथि के दिन चंद्रदय के बाद हुआ था तो जन्मआष्ट्मी के दिन रात 11 बजकर 05 मिनट के बाद ही पूजा आराधना कर भगवान श्री कृष्णा का जन्म कराएं.