नई दिल्ली : अपनी महत्वाकांक्षी सेमीकंडक्टर विनिर्माण प्रोत्साहन नीति के तहत लगभग 10 बिलियन डॉलर की सब्सिडी देने के बाद केंद्र सरकार ने योजना के दूसरे चरण का ब्लूप्रिंट तैयार किया है . सरकार इस कार्यक्रम के परिव्यय को बढ़ाकर 15 बिलियन डॉलर कर सकती है. इसमें चिप विनिर्माण में उपयोग किए जाने वाले कच्चे माल और गैसों के लिए पूंजीगत सहायता प्रदान करना और असेंबली और टेस्टिंग प्लांट्स की सब्सिडी को कम करना शामिल सकता है.
नाम ना बताने का अनुरोध करते हुए एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस ‘ को बताया, “कम समय में, हम एक फैब्रिकेशन प्लांट सहित चार चिप प्रस्तावों को मंजूरी देने में कामयाब रहे. इन सुविधाओं को स्थापित करने वाली संस्थाओं को सब्सिडी भुगतान किए जाने के बाद मूल प्रोत्साहन नीति का 10 बिलियन डॉलर परिव्यय लगभग समाप्त हो जाएगा. हम ऐसे और अधिक प्लांट्स को आकर्षित करना चाहते हैं. यह देखते हुए कि कई देश चिप विनिर्माण को आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं इसलिए, हमने अनुमान लगाया है कि नई 2.0 योजना में 15 बिलियन डॉलर का उच्च परिव्यय होना चाहिए ताकि हम कंपटीशन में बने रह सकें.”
भारत की महत्वाकांक्षा अमेरिका, ताइवान और दक्षिण कोरिया की तर्ज पर एक प्रमुख चिप हब बनने की है और वह देश में कामकाज (Operations) स्थापित करने के लिए विदेशी कंपनियों को आकर्षित कर रहा है. अब तक, भारत ने ताइवान के पावरचिप के साथ साझेदारी में टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स द्वारा बनाए जा रहे 11 बिलियन डॉलर के फैब्रिकेशन प्लांट के अलावा तीन और अलग-अलग चिप असेंबली प्लांट को मंजूरी दी है जिसमें टाटा, अमेरिकी माइक्रोन टेक्नोलॉजी और जापान के रेनेसास की साझेदारी में मुरुगप्पा समूह की सीजी पावर शामिल है.
योजना के नवीनीकरण के अनुमानों के साथ तैयार एक आंतरिक नोट में, सरकार ने असेंबली और टेस्टिंग प्लांट्स (ATMP/OSAT) की पूंजीगत व्यय सब्सिडी को पारंपरिक पैकेजिंग टेक्नोलॉजीज के लिए 50 प्रतिशत (मौजूदा) से घटाकर 30 प्रतिशत और उन्नत पैकेजिंग प्रौद्योगिकियों के लिए 40 प्रतिशत करने का भी निर्णय लिया है.
दिसंबर 2021 में जारी प्रोत्साहन नीति के पहले संस्करण में, केंद्र ने चिप पैकेजिंग और टेस्टिंग प्लांट्स के लिए 30 प्रतिशत पूंजीगत व्यय सब्सिडी की पेशकश की थी. हालांकि, सितंबर 2022 में उसने ऐसे प्लांट्स के लिए सब्सिडी बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दी थी. समझा जाता है कि माइक्रोन टेक्नोलॉजी ने प्रस्ताव के अगुवा के रूप में काम किया गया था, क्योंकि सरकार कंपनी को भारत में असेंबली प्लांट स्थापित करने की सुविधा देना चाहती थी, जिसे अंततः जून 2023 में मंजूरी दी गई थी.
अब हालांकि, सरकार अपने पहले के सब्सिडी योगदान पर वापस जाना चाहती है, लेकिन प्रशासन के कुछ वर्गों में यह धारणा बढ़ रही है कि उसने पैकेजिंग और असेंबली प्लांट पर ज़रूरत से ज़्यादा खर्च किया है. उदाहरण के लिए, माइक्रोन के मामले में, इसके $2.7 बिलियन प्लांट का लगभग 70 प्रतिशत केंद्र सरकार और गुजरात सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी के ज़रिए भुगतान किया जाएगा.
कहा जा रहा है कि सरकार नई प्रोत्साहन योजना के तहत टेक्नोलॉजी ट्रांसफर लागत का समर्थन भी नहीं करना चाहती है. इसका मतलब हुआ कि अपनी चिप निर्माण तकनीक का उपयोग करने के लिए दूसरों के साथ साझेदारी करने वाली कंपनियों को अपनी जेब से भुगतान करना पड़ सकता है. नई योजना के तहत, सरकार असेंबली और टेस्टिंग प्लांट्स में आवश्यक गैसों, कैमिकल्स और कच्चे माल जैसे पूंजीगत उपकरण और इकोसिस्टम को समर्थन भी दे सकती है. इसके अलावा सरकार माइक्रो-एलईडी डिस्प्ले के निर्माण को प्रोत्साहित करने पर भी विचार कर सकती है.
यह भी पता चला है कि गुजरात के साणंद में माइक्रोन टेक्नोलॉजी का एटीएमपी प्लांट निर्धारित समय से 133 दिन पीछे चल रहा है, क्योंकि कंपनी पर्याप्त निर्माण कर्मचारियों को काम पर नहीं रख सकी है. टाटा ने मांग की है कि नोड की वित्तीय मदद प्रदान करने के लिए पीएसएमसी को 28 नैनोमीटर चिप्स के निर्माण की क्षमता प्रदर्शित करने की जरूरी छूट दी जानी चाहिए. सरकार कंपनी के अनुरोध पर विचार कर रही है, लेकिन अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है.