अमेरिकी प्रतिबंध दरकिनार, भारत रूस का व्यापार 65 अरब डॉलर के पार

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मॉस्को: अमेरिका की तमाम कोशिशों के बावजूद भारत (India) और रूस (Russia) की दशकों पुरानी दोस्ती और मजबूत होती जा रही है। रूस के सबसे बड़े कर्जदाता सेबरबैंक (Sberbank) के डेप्युटी सीईओ अनातोली पोपोव ने बताया कि भारत के साथ रूस का व्यापार (trade) तेजी से बढ़ रहा है और द्विपक्षीय भुगतान बिना किसी रुकावट के सुचारू रूप से हो रहा है। सेबरबैंक भारत को होने वाले सभी रूसी निर्यात का 70 प्रतिशत तक भुगतान संभालता है। यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद भारत और रूस के व्यापार में भारी वृद्धि देखी गई है। साल 2023 में यह दोगुना होकर 65 अरब डॉलर ($65 billion) पर पहुंच गया। यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसके बाद भारत रूसी तेल का प्रमुख आयातक बनकर उभरा है।

पोपोव ने रॉयटर्स को बताया कि साल 2022 में भारतीय बाजार में रूसी व्यवसायों की रुचि में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। भारत में मौजूद सेबरबैंक के कार्यालयों में कर्मचारियों की संख्या में 150 प्रतिशत तक बढ़ी है। भारत में सेबरबैंक का दिल्ली और मुंबई में दफ्तर है। इसके साथ ही बैंगलुरु में एक आईटी केंद्र भी है। इसी साल अप्रैल में पोपोव ने कहा था कि बैंक बैंगलोर में 300 आईटी कर्मचारियों की नियुक्ति करना चाहता है।

सेबरबैंक पर पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध लगा रखा है, जिसके चलते वह अमेरिकी डॉलर और यूरो में लेनदेन नहीं कर सकता है। इसके साथ ही वह अंतरराष्ट्रीय ट्रांजैक्शन के लिए स्विफ्ट (SWIFT) प्रणाली का भी उपयोग नहीं कर सकता है। हालांकि, पोपोव का कहना है कि बैंक को भारत में किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा है। उन्होंने बताया कि सेबरबैंक सभी भारतीय भुगतान और अंतर-बैंक प्रणालियों में पूर्ण भागीदार है। इसके संचालन पर कोई प्रतिबंध नहीं है।

भारत और रूस की मजबूत दोस्ती के पीछे नई दिल्ली की वह नीति है, जिसके तहत भारत रूस विरोधी किसी भी प्रतिबंध में शामिल नहीं हुई है। इसके साथ ही उभरती अर्थव्यवस्थाओं के ब्रिक्स समूह के सदस्य के रूप में रूस के साथ दोस्ताना संबंध रखता है। रूस के हथियारों का भारत सबसे बड़ा आयातक भी है।

सेबरबैंक ने बताया है कि भारत और रूस रुबल और रुपये में लेन-देन कर रहे है। इनमें से 90 प्रतिशत लेन-देन को पूरा होने में केवल कुछ घंटे ही लगते हैं। यह चीन जैसे अन्य व्यापारिक साझेदारों के बिल्कुल विपरीत है। पोपोव ने जोर देकर कहा कि रूस को बढ़ते भारतीय निर्यात ने रूसी कंपनियों के पास रखे गए रुपये के अधिशेष की समस्या को हल करने में मदद की है। उन्होंने बताया कि समस्या हल हो गई है और अब कोई अधिशेष नहीं है। साथ ही यह भी कहा कि संतुलित व्यापार हासिल करने के लिए भारत को अभी भी रूस को अपने निर्यात को 10 गुना बढ़ाने की जरूरत है।

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