शिमला में संजौली मस्जिद विवाद प्रदर्शन से पहले धारा 163 लागू, चप्पे-चप्पे पर पुलिस, लगी ये पाबंदी

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शिमला: हिमाचल प्रदेश में अब संजौली अवैध मस्जिद मामले में विवाद ने खुब तूल पकड़ लिया है। इसके अवैध निर्माण के खिलाफ आज यानी बुधवार को हिंदू संगठनों द्वारा शिमला में प्रदर्शन किया जाएगा। जिसके चलते राजधानी में बीते रोज से ही तनावपूर्ण माहौल है। वहीं आज शहर के चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा किया गया है, ताकि कोई भी अप्रिय घटना न घटे।

संजौली में तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए आज यानी 11 सितंबर को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 रहेगी लागू रहेगी। इस बाबत पुलिस ने बताया कि आज यानी 11 सितंबर सुबह 7 बजे से लेकर रात 11:59 बजे तक ये आदेश लागु रहेंगे। ये आदेश नव बहार चौक से ढली टनल के ईस्टर्न पोर्टल, आईजीएमसी से संजौली चौक, संजौली चौक से चलौंठी, ढली (वाया संजौली चलौंठी जंक्शन) क्षेत्र में जारी रहेंगे। पांच या पांच से ज्यादा लोगों के एक जगह इकट्ठा होने पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा।

लागु आदेश के मुताबीक संजौली में बिना परमिशन के किसी को भी धरना प्रदर्शन, नारेबाजी, भूख हड़ताल करने की अनुमति प्रदान नहीं होगी। वहीं किसी भी व्यक्ति को अपने साथ फायर आर्म्स, लाठी, बरछा, कुल्हाड़ी, साइकिल चेन, गंडासा, भाला, तलवार जैसे हथियार या भी कोई भी ज्वलनशील पदार्थ को लेकर चलने पर पूरी तरह से मनाही है। इस दौरान अस्पताल, कोर्ट, शिक्षण संस्थान और और पब्लिक प्लेस पर लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने पर भी पूरी तरह से प्रतिबंध है। वहीं सांप्रदायिक, राष्ट्र, राज्य विरोधी भाषण नारे, दीवार लेखन, पोस्टर आदि पर भी बैन लगा हुआ है।

जानकारी दें कि वक्फ बोर्ड ने शनिवार 7 सितंबर को शिमला की एक अदालत में कहा था कि संजौली कॉलोनी स्थित विवादित मस्जिद का मालिकाना हक उसी का है और विवाद केवल इसके अन्य मुद्दों को लेकर है। शिमला नगर निगम आयुक्त की अदालत ने मस्जिद मामले में दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं और अगली सुनवाई पांच अक्टूबर के लिए तय की थीं।

दरअसल यह मामला बीते 14 वर्षों से अदालत में विचाराधीन है, लेकिन निकटवर्ती मल्याणा क्षेत्र में झगड़े के दौरान एक व्यापारी पर कुछ मुस्लिम युवकों द्वारा कथित रूप से हमला किये जाने के बाद बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन हुए और मस्जिद को ध्वस्त किए जाने की मांग की जाने लगी। स्थानीय निवासियों की ओर से पेश हुए अधिवक्ता जगत पाल ने कहा था कि याचिकाकर्ताओं को इस मामले में पक्षकार बनने के लिए मजबूर होना पड़ा, क्योंकि यह मामला पिछले 14 वर्षों से नगर निगम आयुक्त की अदालत में लंबित था और वक्फ बोर्ड को 2023 में ही पक्षकार बनाया गया था।

उन्होंने कहा था कि यह सांप्रदायिक मुद्दा नहीं है, बल्कि अवैध निर्माण का मामला है और मस्जिद को गिराया जाना चाहिए। अदालत ने अब इस निर्माण पर स्थिति रिपोर्ट मांगी है। वकील ने कहा कि वक्फ बोर्ड मस्जिद के स्वामित्व का कोई सबूत पेश करने में असमर्थ रहा है। उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार भूमि का मालिक राज्य है।

वहीं कुछ हिंदू संगठनों ने विधानसभा के पास चौड़ा मैदान में विरोध-प्रदर्शन किया था, जिसमें संजौली में मस्जिद को गिराने की मांग की गई थी। हिंदू जागरण मंच की हिमाचल इकाई के अध्यक्ष कमल गौतम ने आरोप लगाया था कि मस्जिद का इस्तेमाल ‘‘बाहरी लोगों” को शरण देने के लिए किया जा रहा है।

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