नई दिल्ली : कुछ महीनों पहले ही चंद्रयान-4 मिशन को सरकार की हरी झंडी मिली है. सरकार ने इस मिशन को पूरा करने के लिए इसरो को 2104.06 करोड़ रुपए सैंक्शन किए हैं. चंद्रयान-4 मिशन कई तरह से कमाल का मिशन होगा.
1. अंतरिक्ष में चंद्रयान-4 के दो हिस्सों को जोड़ा जाएगा. अलग किया जाएगा. यानी डॉकिंग-अनडॉकिंग होगी.
2. चांद की सतह पर मानवरहित लैंडर की लैंडिंग होगी.
3. रोवर बाहर निकल कर सैंपल जमा करेगा.
4. वापस लैंडर में आकर बैठेगा.
5. लैंडर चांद की सतह से टेकऑफ करेगा.
6. चांद की कक्षा में घूम रहे ऑर्बिटर से जुड़ेगा.
7. इसके बाद दोनों धरती की तरफ वापस आएंगे.
8. ऑर्बिटर मिट्टी के सैंपल वाले कैप्सूल को धरती की ओर फेकेगा.
सरकार ने इसरो को इस मिशन के लिए जो फंड दिया है, उसमें चंद्रयान-4 यान, LVM-3 के दो रॉकेट और चंद्रयान-4 से लगातार संपर्क बनाए रखने के लिए स्पेस नेटवर्क और डिजाइन वेरिफिकेशन शामिल है. यानी ये सब अगले चार साल के अंदर होगा. इनके परीक्षण होंगे. इसके बाद फिर लॉन्चिंग होगी.
ISRO चीफ डॉ. एस. सोमनाथ ने कुछ महीनों पहले ही कहा था कि Chandrayaan-4 एक बार में लॉन्च नहीं होगा. इसे दो हिस्सों लॉन्च किया जाएगा. यानी एक के बाद दूसरा LVM-3 रॉकेट लॉन्च किया जाएगा. इसके बाद अंतरिक्ष में इसके मॉड्यूल्स यानी हिस्सों को जोड़ा जाएगा. यानी डॉकिंग करेंगे. यही तकनीक भविष्य में भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bhartiya Antariksh Station- BAS) बनाने में मदद करेगी.
Chandrayaan-4 को अंतरिक्ष में टुकड़ों में भेजकर स्पेस में ही जोड़ा जाएगा. इस मिशन के जरिए ही इसरो चंद्रमा से सैंपल लेकर धरती पर वापस आएगा. डॉ. सोमनाथ ने कहा कि हमने चंद्रयान-4 की सारी प्लानिंग कर ली है. कैसे लॉन्चिंग होगी. कौन सा हिस्सा कब जाएगा. उसे कैसे स्पेस में जोड़ेंगे. फिर कैसे चांद पर उतारेंगे. कौन सा हिस्सा वहीं रहेगा. कौन सा हिस्सा सैंपल लेकर वापस भारत लौटेगा.
इसरो चीफ ने कहा था कि हमारे पास डॉकिंग यानी स्पेसक्राफ्ट के हिस्सों को जोड़ने की तकनीक है. यह काम धरती के अंतरिक्ष या फिर चंद्रमा के अंतरिक्ष दोनों जगहों पर कर सकते हैं. यानी पृथ्वी के ऊपर भी और चंद्रमा के ऊपर भी. डॉकिंग के प्रदर्शन के लिए इस साल अंत तक SPADEX मिशन किया जा सकता है.
चंद्रमा पर मिशन पूरा करके धरती पर आते समय डॉकिंग मैन्यूवर करना एक रूटीन प्रक्रिया है. इसरो चीफ ने कहा कि हम यह काम पहले भी कर चुके हैं. चंद्रयान के अलग-अलग मिशन में दुनिया ये देख चुकी है. हमने एक स्पेसक्राफ्ट के कुछ हिस्सों का चंद्रमा पर उतारा जबकि एक हिस्सा चांद के चारों तरफ चक्कर लगाता रहा. इस बार उन्हें जोड़ने का काम करेंगे. इस बार धरती की ऑर्बिट में चंद्रयान-4 के दो मॉड्यूल्स जोड़े जाएंगे.