‘बिहार कोकिला’ शारदा सिन्हा का अब से कुछ देर में राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार

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पटना: ‘बिहार कोकिला’ के नाम से प्रख्यात लोक गायिका पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्मानित बिहार की मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार आज राजकीय सम्मान के साथ होगा। आज पटना के गुलबी घाट पर उन्हें पूरे राजकीय सम्मान के साथ अब से कुछ देर में अंतिम विदाई दी जाएगी। फिलहाल उनके पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा है।

जानकारी दें कि लंबे समय से मायलोमा (एक तरह का रक्त कैंसर) से जूझ रहीं सिन्हा का मंगलवार रात दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया था। वह 72 साल की थीं। पटना के जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिन्हा ने बताया था कि, “सिन्हा के परिवार के सदस्यों की इच्छा के अनुसार, उनका अंतिम संस्कार आज गुरुवार को किया जाएगा।”

सिन्हा का पार्थिव शरीर पटना में उनके राजेंद्र नगर स्थित आवास (कंकड़बाग के पास) में रखा गया है, जहां प्रशंसक और शुभचिंतक लोक गायिका के अंतिम दर्शन कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकेंगे। इससे पहले, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पद्मश्री और पद्म भूषण से सम्मानित सिन्हा का पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किए जाने की घोषणा की थी। सिन्हा को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए नीतीश बुधवार दोपहर उनके आवास पर पहुंचे। मुख्यमंत्री कार्यालय के मुताबिक, नीतीश ने पटना के जिलाधिकारी को सिन्हा के अंतिम संस्कार के लिए आवश्यक इंतजाम करने का निर्देश दिया है।

बिहार की समृद्ध लोक परंपराओं को राज्य की सीमाओं से बाहर भी लोकप्रिय बनाने वाली शारदा सिन्हा के कुछ प्रमुख गीतों में ‘‘छठी मैया आई ना दुआरिया”, ‘‘कार्तिक मास इजोरिया”, ‘‘द्वार छेकाई”, ‘‘पटना से”, और ‘‘कोयल बिन” शामिल थे। इसके अलावा, उन्होंने बॉलीवुड फिल्मों के लिए भी कई गाने गए थे। इनमें ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर-2′ के ‘तार बिजली’ और ‘हम आपके हैं कौन’ के ‘बाबुल’ जैसे गाने शामिल हैं।

एक प्रशिक्षित शास्त्रीय गायिका सिन्हा को उनके गीतों में शास्त्रीय और लोक संगीत के अद्भुत मिश्रण के लिए जाना जाता था।‘मिथिला की बेगम अख्तर’ कहलाने वाली सिन्हा लगातार बिगड़ती सेहत के बावजूद छठ पर हर साल एक नया गीत जारी करती थीं। इस साल उन्होंने अपने निधन से ठीक एक दिन पहले छठ के लिए “दुखवा मिटाईं छठी मइया” गीत जारी किया था, जिससे कैंसर से उनकी कठिन लड़ाई का दर्द बयां होता है।

जानकारी दें कि, सुपौल में जन्मी सिन्हा छठ पूजा और शादी जैसे अवसरों पर गाए जाने वाले लोकगीतों के कारण अपने गृह राज्य बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में बेहद लोकप्रिय थीं। उन्होंने भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषा में कई यादगार लोकगीत गाए थे।

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