नई दिल्ली: बच्चों के बीच चाचा नेहरू के नाम से मशहूर भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने स्वतंत्र भारत का जो स्वरूप आज हमारे सामने मौजूद है, उसकी आधारशिला रखी थी। आधुनिक भारत के निर्माण की राह बनाने के साथ ही उन्होंने देश के भावी सामाजिक स्वरूप का खाका भी खींचा था। दुनिया के पटल पर भारत आज अपने जिन मूल्यों आदर्शो के लिए जाना पहचाना जाता है, उसे स्वरूप प्रदान करने का श्रेय एक हद तक नेहरू को दिया जा सकता है।
उनके बारे में सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था, “जवाहर लाल नेहरू हमारी पीढ़ी के एक महानतम व्यक्ति थे। वह एक ऐसे अद्वितीय राजनीतिज्ञ थे, जिनकी मानव-मुक्ति के प्रति सेवाएं चिरस्मरणीय रहेंगी। स्वाधीनता संग्राम के योद्धा के रूप में वह यशस्वी थे और आधुनिक भारत के निर्माण के लिए उनका अंशदान अभूतपूर्व था।” नेहरू का जन्म कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। यह परिवार 18वीं शताब्दी के आरंभ में इलाहाबाद आ गया था। इलाहाबाद में बसे इसी परिवार में उनका जन्म 14 नवंबर 1889 को हुआ था। उनके पिता का नाम पंडित मोतीलाल नेहरू और माता का नाम श्रीमती स्वरूप रानी था।
उनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई। 15 वर्ष की उम्र में 1905 में नेहरू इंग्लैंड के हैरो स्कूल में भेजे गए। हैरो में दो वर्ष तक रहने के बाद नेहरू केंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज पहुंचे जहां उन्होंने तीन वर्ष तक अध्ययन कर विज्ञान में स्नातक उपाधि प्राप्त की। कैम्ब्रिज छोड़ने के बाद लंदन के इनर टेंपल में दो वर्ष बिताकर उन्होंने वकालत की पढ़ाई की।
भारत लौटने के चार वर्ष बाद मार्च 1916 में नेहरू का विवाह कमला कौल के साथ हुआ। कमला दिल्ली में बसे कश्मीरी परिवार की थीं। दोनों की अकेली संतान इंदिरा प्रियदर्शिनी का जन्म 1917 में हुआ। 1929 में लाहौर अधिवेशन में नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए थे। 27 मई 1964 को प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए निधन होने तक नेहरू अपने देशवासियों का आदर्श बने रहे।
भारतीय इतिहास के परिप्रेक्ष्य में नेहरू का महžव उनके द्वारा आधुनिक जीवन मूल्यों और भारतीय परिस्थतियों के लिए अनुकूलित विचारधाराओं के आयात और प्रसार के कारण है। धर्मनिरपेक्षता और भारत की जातीय तथा धार्मिक विभिन्नताओं के बावजूद देश की मौलिक एकता पर जोर देने के अलावा नेहरू भारत को वैज्ञानिक खोजों और तकनीकी विकास के आधुनिक युग में ले जाने के प्रति भी सचेत थे।
अपने देशवासियों में निर्धनों तथा अछूतों के प्रति सामाजिक चेतना की जरूरत के प्रति जागरुकता पैदा करने और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति सम्मान पैदा करने का भी कार्य उन्होंने किया। उन्हें अपनी एक उपलब्धि पर विशेष गर्व था कि उन्होंने प्राचीन हिंदू सिविल कोड में सुधार कर अंतत: उत्तराधिकार तथा संपत्ति के मामले में विधवाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार प्रदान करवाया।