भारत-चीन संबंधों की नई शुरुआत, कैलाश मानसरोवर यात्रा हो सकती है शुरू

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रियो : भारत और चीन के संबंधों में सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए दोनों देशों ने सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करने और कैलाश मानसरोवर यात्रा को बहाल करने पर चर्चा की है। चीन के विदेश मंत्रालय ने इसे “नई शुरुआत” बताते हुए सकारात्मक संकेत दिए हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच यह महत्वपूर्ण बैठक ब्राजील के रियो डी जनेरियो में G20 शिखर सम्मेलन के दौरान हुई। यह बैठक लद्दाख के देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में तनावपूर्ण स्थिति से सफलतापूर्वक निपटने के बाद हुई है। इन विवादास्पद क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी ने दोनों देशों के बीच शांति और स्थिरता बनाए रखने में योगदान दिया है।

कोविड महामारी के कारण 2020 में भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानें बंद कर दी गई थीं, जो अब तक बहाल नहीं हुई हैं। उसी साल कैलाश मानसरोवर यात्रा भी रोक दी गई थी। चीन में स्थित कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है और यह भारतीय श्रद्धालुओं के लिए अत्यधिक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। विदेश मंत्रालय (MEA) के अनुसार, बैठक में इन दोनों मुद्दों के साथ-साथ सीमा पार नदियों पर डेटा साझा करने और मीडियाकर्मियों का आदान-प्रदान को लेकर भी चर्चा हुई।

गौरतलब है कि मई 2020 में लद्दाख में भारत-चीन के बीच संघर्ष की शुरुआत हुई थी, जिसके अगले महीने गलवान घाटी में हुई झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे। चीन की तरफ भी हताहत हुए, लेकिन उनके आंकड़े स्पष्ट नहीं हैं। तब से दोनों देशों के बीच तनाव बना रहा और सैन्य स्तर पर बातचीत का दौर चला। हाल ही में रूस में हुए ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद संबंध सुधारने की दिशा में एक नई शुरुआत हुई।

ताजा बैठक के बाद चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, “चीन-भारत संबंध अब एक नई शुरुआत पर हैं। इसमें दोनों देशों के लोगों का बुनियादी हित है। साथ ही ये ग्लोबल साउथ के देशों की अपेक्षाओं को पूरा करता है।” विदेश मंत्री वांग यी ने भी कहा कि दोनों देशों को अपने नेताओं की महत्वपूर्ण सहमतियों को पूरा करना चाहिए, आपसी विश्वास को बढ़ावा देना चाहिए और मतभेदों को सुलझाने के लिए ईमानदारी और विश्वास के साथ काम करना चाहिए।

बीजिंग से मिली खबरों के मुताबिक, वांग ने जयशंकर के साथ अपनी बैठक में कहा कि भारत और चीन को प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति चिनफिंग के बीच रूस में शिखर सम्मेलन में बनी महत्वपूर्ण सहमति को क्रियान्वित करना चाहिए। सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ ने वांग-जयशंकर बैठक पर आधिकारिक बयान का हवाला देते हुए बताया कि दोनों पक्षों को दोनों नेताओं द्वारा बनाई गई महत्वपूर्ण सहमति को लागू करना चाहिए, एक-दूसरे के हितों का सम्मान करना चाहिए, संवाद एवं संचार के माध्यम से आपसी विश्वास को बढ़ाना चाहिए, मतभेदों को ईमानदारी व निष्ठा के साथ निपटाना चाहिए तथा द्विपक्षीय संबंधों को जल्द से जल्द प्रगति के रास्ते पर वापस लाना चाहिए।

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, “भारत एक बहुध्रुवीय विश्व और एशिया के प्रति प्रतिबद्ध है। हमारी विदेश नीति सैद्धांतिक और स्वतंत्र रही है। हम प्रभुत्व स्थापित करने के एकपक्षीय दृष्टिकोण के खिलाफ हैं।” दोनों मंत्रियों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि संबंधों को स्थिर करने, मतभेदों को संभालने और आगे के कदम उठाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यह बैठक भारत-चीन संबंधों में स्थिरता और नई दिशा प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है।

सूत्रों ने बताया कि सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद भारतीय और चीनी सेनाएं देपसांग और डेमचोक में एक-एक दौर की गश्त कर रही हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने एलएसी पर सैनिकों की तैनाती बरकरार रखी है और अब ध्यान तनाव को समग्रता में कम करने पर होगा। इस समय क्षेत्र में एलएसी पर दोनों पक्षों के लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं। उन्होंने बताया कि तनाव कम करने के लिए कई स्तरों पर बातचीत चल रही है।

भारत और चीन के बीच 21 अक्टूबर को देपसांग और डेमचोक में सेनाओं की वापसी के समझौते पर पहुंचने के बाद सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा था कि भारतीय सेना ‘‘विश्वास’’ बहाल करने का प्रयास कर रही है और इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए दोनों पक्षों को “एक दूसरे को आश्वस्त” करना होगा। समझौते पर हस्ताक्षर होने के दो दिन बाद मोदी और शी ने रूसी शहर कजान में वार्ता की। पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद पांच मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध शुरू हो गया था।

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