चीन, कनाडा और मेक्सिको पर भारी पड़ेगा राष्ट्रपति ट्रंप का फैसला, पहले दिन से लागू होंगे नए शुल्क

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न्यूयॉर्क : अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता संभालने के तुरंत बाद चीन, मेक्सिको और कनाडा के खिलाफ कड़ा कदम उठाने का ऐलान किया है। ट्रंप के मुताबिक, उनके पहले आदेशों में इन तीन देशों से आने वाले उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क (टैरिफ) लगाए जाएंगे, जिससे इन देशों की नीतियों पर दबाव डाला जाएगा। ट्रंप का कहना है कि इन देशों से अमेरिका में अवैध प्रवासियों की आवक, ड्रग्स की सप्लाई और अन्य गंभीर मुद्दों को देखते हुए यह कदम उठाया जा रहा है।

ट्रंप ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उनके पहले आदेशों में कनाडा और मेक्सिको से अमेरिका आने वाले सभी उत्पादों पर 25 फीसदी का टैरिफ लगाया जाएगा। इसके अलावा, चीन से आने वाले उत्पादों पर 10 फीसदी अतिरिक्त टैक्स लगाया जाएगा। यह फैसला विशेष रूप से तब लिया गया है जब अमेरिका में ड्रग्स की समस्या बढ़ रही है, जिनमें फेंटानिल जैसी दवाएं प्रमुख हैं, जो मुख्य रूप से मेक्सिको के रास्ते अमेरिका पहुंचती हैं। ट्रंप का मानना है कि इन देशों के साथ व्यापार संबंधों में सुधार लाने के लिए यह एक जरूरी कदम है।

ट्रंप ने कहा कि कनाडा और मेक्सिको से अमेरिका में बड़ी संख्या में अवैध प्रवासी प्रवेश कर रहे हैं। इन देशों से अवैध प्रवासी अमेरिका में प्रवेश करते हैं, जो न केवल देश की सुरक्षा को खतरे में डालते हैं बल्कि अमेरिका के सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने को भी प्रभावित करते हैं। इसके अलावा, इन देशों से ड्रग्स की आपूर्ति भी अमेरिका में हो रही है, जिससे देश में अपराध का स्तर बढ़ रहा है। ट्रंप के अनुसार, इस स्थिति को सुधारने के लिए जरूरी है कि इन देशों से आने वाले उत्पादों पर कड़ा शुल्क लगाया जाए।

चीन के प्रति ट्रंप का गुस्सा विशेष रूप से इन ड्रग्स की आपूर्ति के कारण और अधिक बढ़ा है। ट्रंप ने आरोप लगाया कि उन्होंने चीन के साथ कई बार ड्रग्स की आपूर्ति को रोकने को लेकर बातचीत की थी, लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं निकला। ट्रंप के मुताबिक, चीन ने यह वादा किया था कि वह ड्रग्स डीलर्स को सजा देगा, लेकिन इस वादे पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके चलते चीन से लगातार फेंटानिल जैसे ड्रग्स की खेप अमेरिका में आ रही है, जो मुख्यत: मेक्सिको के माध्यम से अमेरिका पहुंचती है। इस कारण ट्रंप ने चीन से आने वाले उत्पादों पर 10 फीसदी का अतिरिक्त शुल्क लगाने का निर्णय लिया।

ट्रंप के इस फैसले से उत्तरी अमेरिका (कनाडा, मेक्सिको और अमेरिका) की आपूर्ति चेन पर असर पड़ सकता है। इन देशों के बीच व्यापार और आर्थिक संबंधों पर इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा। 25 फीसदी टैरिफ के कारण कनाडा और मेक्सिको से आने वाले उत्पादों की कीमतों में वृद्धि हो सकती है, जिससे व्यापारिक गतिविधियां प्रभावित हो सकती हैं। इसी प्रकार, चीन के साथ व्यापार में भी अतिरिक्त शुल्क लगने से अमेरिका और चीन के व्यापार संबंधों में और तनाव उत्पन्न हो सकता है।

चीन ने पहले भी ट्रंप की व्यापार नीतियों को लेकर विरोध जताया था, और यह उम्मीद जताई जा रही है कि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद चीन के साथ व्यापारिक तनाव और बढ़ सकता है। चीन के पॉलिसी एडवाइजर झेंग योंगनियान ने हाल ही में एक बयान में कहा था कि ट्रंप की नई टीम से चीन को बड़ा खतरा हो सकता है। झेंग ने कहा कि ट्रंप की टीम में एलन मस्क और भारतीय मूल के बिजनेसमैन विवेक रामस्वामी जैसे लोग शामिल हैं, जो चीन के लिए अमेरिकी नीति को और अधिक चुनौतीपूर्ण बना सकते हैं। झेंग का कहना था कि अगर ट्रंप अपनी सरकार में सुधार करने में सफल रहते हैं, तो अमेरिका एक नया और प्रतिस्पर्धी सिस्टम तैयार कर सकता है, जो चीन के लिए और भी मुश्किलें खड़ी करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप के व्यापार शुल्कों का सबसे बड़ा असर चीन के द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ेगा, जो दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों में खटास ला सकता है।

यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि ट्रंप अपने पहले कार्यकाल के दौरान चीन के खिलाफ कड़े कदम उठा चुके थे, और अब एक बार फिर वह ताइवान और दक्षिण चीन सागर जैसे वैश्विक मुद्दों पर चीन के खिलाफ सख्त उपायों को लागू करेंगे। चीन ताइवान को अपने क्षेत्र का हिस्सा मानता है, जबकि अमेरिका ताइवान को स्वतंत्र राज्य के रूप में मानता है। दक्षिण चीन सागर में चीन का कई देशों के समुद्री क्षेत्रों पर दावा है, जिसे अमेरिका और अन्य देशों ने चुनौती दी है। इस प्रकार, ट्रंप का यह कदम केवल अमेरिका के आंतरिक व्यापार नीति को बदलने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य भी तैयार कर सकता है, जो वैश्विक व्यापार और कूटनीति में नई दिशा तय करेगा। कुल मिलाकर, डोनाल्ड ट्रंप का यह कदम अमेरिका के प्रमुख व्यापार साझेदारों, विशेषकर चीन, मेक्सिको और कनाडा के साथ संबंधों को प्रभावित करेगा और एक नई कूटनीतिक चुनौती खड़ी करेगा। आने वाले दिनों में इस फैसले का वैश्विक स्तर पर भी प्रभाव देखा जाएगा, जो उत्तरी अमेरिका के व्यापार और राजनीतिक समीकरणों को बदलने की दिशा में एक अहम मोड़ साबित हो सकता है।

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