डोनाल्ड ट्रंप ने एक और भारतवंशी को सौंपी बड़ी जिम्मेदारी, जय भट्टाचार्य को एनआईएच की कमान

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वाशिंगटन :अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक जय भट्टाचार्य को देश के शीर्ष स्वास्थ्य अनुसंधान एवं वित्त पोषण संस्थानों में से एक, ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ’ (एनआईएच) के निदेशक के रूप में चुना है। इसके साथ ही भट्टाचार्य, ट्रंप द्वारा शीर्ष प्रशासनिक पद के लिए नामित होने वाले पहले भारतीय-अमेरिकी भी बन गए हैं।

जानकारी दें कि, इससे पहले, ट्रंप ने टेस्ला कंपनी के मालिक एलन मस्क के साथ नवगठित सरकारी दक्षता विभाग का नेतृत्व करने के लिए भारतीय-अमेरिकी विवेक रामास्वामी को चुना था। यह एक स्वैच्छिक पद है और इसके लिए अमेरिकी सीनेट से पुष्टि की आवश्यकता नहीं है।

इस बाबत ट्रंप ने घोषणा की, ‘‘मुझे जय भट्टाचार्य, एम।डी।, पी।एच।डी। को एनआईएच के निदेशक के रूप में नामित करके बहुत प्रसन्नता हो रही है। डॉ। भट्टाचार्य रॉबर्ट एफ। कैनेडी जूनियर के साथ मिलकर राष्ट्र के चिकित्सा अनुसंधान की दिशा में मार्गदर्शन करेंगे और स्वास्थ्य में सुधार लाने तथा लोगों का जीवन बचाने वाले महत्वपूर्ण खोज को प्रोत्साहित करने की दिशा में काम करेंगे।”

ट्रंप ने जैमीसन ग्रीर को अमेरिका व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) के रूप में चुना और केविन ए। हैसेट को ‘व्हाइट हाउस’ राष्ट्रीय आर्थिक परिषद का निदेशक नियुक्त किया है। ट्रंप ने एक अलग बयान में कहा कि आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष केविन ए। हैसेट ने 2017 के कर कटौती और रोजगार अधिनियम को पारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पॉलिसी प्रोफेसर हैं जयंत भट्टाचार्य 

वहीं वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट की मानें तो जयंत भट्टाचार्य फिलहाल यूएस की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पॉलिसी प्रोफेसर हैं। वे विश्वविद्यालय में नेशनल ब्यूरो ऑफ इकोनॉमिक्स रिसर्च में शोध सहयोगी भी हैं। जयंत का जन्म 1968 में पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में हुआ था। भट्टाचार्य साल 1997 में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन से एमडी की डिग्री बी ले चुके हैं।

वहीं साल 2000 में इसी यूनिवर्सिटी से उन्होने अर्थशास्त्र विभाग में PHD की डिग्री हासिल की थी। वे 2011 से यहीं पर कार्यरत हैं। उनके पास हेल्थ और वृद्धावस्था की जनसांख्यिकी के अलावा अर्थशास्त्र केंद्र के निदेशक की अलग जिम्मेदारी है। यह भी बताते चलें कि, उनके शोध अमेरिका के विभिन्न सांख्यिकी, अर्थशास्त्र, सार्वजनिक स्वास्थ्य, कानूनी, चिकित्सा और स्वास्थ्य नीति पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। उन्होंने कोरोना महामारी विज्ञान, संक्रमण की घातकता व लॉकडाउन नीतियों के असर को लेकर भी जटील शोध किए हैं।

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