जयपुरः अजमेर शरीफ दरगाह मामले में आज निचली अदालत में पहली सुनवाई होगी। ख्वाजा चिश्ती मोइनुद्दीन दरगाह (अजमेर शरीफ दरगाह) को पिछले दिनों हिंदूसेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने शिव मंदिर बताते हुए अजमेर जिला अदालत में याचिका दायर की थी। इस याचिका में विष्णु गुप्ता ने भारतीय पुरातत्व विभाग से सर्वे कराने और दरगाह की मान्यता रद्द कर मंदिर की मान्यता देने की मांग की थी।
मामले में 27 नवंबर को कोर्ट ने याचिक स्वीकार की थी, जिसके बाद सियासत गर्मा गई थी। AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था कि दरगाह 800 साल से मौजूद है और अमीर खुसरो ने भी अपनी किताब में इसका जिक्र किया है। उन्होंने कहा, “अब वे कहते हैं कि यह दरगाह नहीं है। अगर ऐसा है तो यह मामला कहां जाकर रुकेगा? उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री भी हर साल ‘उर्स’ के मौके पर दरगाह पर चादर भेजते हैं। उन्होंने पूछा, ‘मोदी सरकार जब हर साल चादर भेजती है, तो वह क्या कहेगी?’
इस मामले में हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से अजमेर सिविल न्यायालय में याचिका लगाई गई थी। जिसमें गुप्ता ने बताया कि अजमेर दरगाह पहले हिंदू संकट मोचन मंदिर हुआ करता था। इसके साक्ष्य और प्रमाण भी उन्होंने दावे में दिए हैं। जिस पर बताया गया कि 1910 में हर विलास शरदा की पुस्तक आई थी, जिसमें भी इसके प्रमाण मिले हैं।
इसी प्रकार के कई दस्तावेज हिंदू सेना के अध्यक्ष द्वारा न्यायलय के सामने पेश किए गए हैं, जिसमें कहा गया है कि अजमेर शरीफ दरगाह हिंदू मंदिर था। इसलिए दरगाह के सर्वे के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को सर्वे का आदेश दिया जाए। इसके साथ दरगाह की मान्यता रद्द कर उसे मंदिर की मान्यता दी। उन्होंने हिंदुओं के लिए पूजा अर्चना की भी इजाजत मांगी है।
क्या हैं हिंदू सेना की मांगें
हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की दायर की गई याचिका में दावा किया गया कि अजमेर दरगाह भगवान श्री संकटमोचन महादेव विराजमान मंदिर है। अब इसे मंदिर ही घोषित किया जाए। इसके साथ ही साथ ही दरगाह समिति के अनाधिकृत अवैध कब्जे को हटाया जाए। इसका एएसआई सर्वे कराया जाए। जिसके बाद मंदिर में पूजा-पाठ करने की अनुमति भी मांगी गई है।