रूस और ईरान के खिलाफ तैयार हुआ प्लान, इन 17 देशों के मंत्रियों ने की सऊदी में बड़ी बैठक

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रियाद: सऊदी अरब के रियाद में 17 मध्य पूर्व और पश्चिमी देशों के मंत्रियों ने सीरिया के हालात पर बैठक की। इस बैठक में सीरिया के पुननिर्माण के लिए सहायता और सरकार को समर्थन देने के मुद्दे पर विचार हुआ। साथ ही, यह भी चर्चा हुई कि एक ऐसी अंतरिम सरकार बनाई जाए जो सभी धर्मों और जातीय समूहों का सही प्रतिनिधित्व करे। सऊदी अरब के विदेश मंत्री ने हाल ही में हुई बैठक के बाद सीरिया पर लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को हटाने की मांग की। उन्होंने कहा कि सीरिया के नए शासन के तहत यह कदम उठाया जाना चाहिए। इसके साथ ही, सीरिया में रह रहे रिफ्यूजी को सुरक्षित रूप से अपने देश वापस लौटने का अवसर मिलना चाहिए। सीरिया की सरकार और इसके लोगों की ओर से भी यह अपील की जा रही है।

चर्चा से रूस और ईरान को रखा गया दूर
बैठक के दौरान सबसे खास बात यह रही की सीरिया के सबसे खास रहे दो देश रूस और ईरान को इस बैठक में शामिल नहीं किया गया, जबकि बशर अल-असद के शासन के दौरान ये दोनों देशों ने सीरिया का समर्थन किया था। इस बैठक में सीरिया के विदेश मंत्री असद अल-शिबानी भी उपस्थित रहे। अमेरिका ने पिछले हफ्ते सीरिया के लिए मानवीय सहायता और ऊर्जा आपूर्ति के कुछ प्रतिबंधों में ढील दी थी। इसके बाद, कतर ने रविवार को सीरिया को गैस का एक समुद्री टैंकर भेजा, जो सीरिया के लिए एक बड़ी मदद साबित हो सकती है।

सऊदी अरब और ईरान के बीच बढ़ता तनाव
आपको बता दें कि सऊदी अरब और ईरान के बीच मध्य पूर्व में प्रभाव बढ़ाने की होड़ जारी है। सऊदी अरब द्वारा सीरिया में होने वाली एक महत्वपूर्ण बैठक की मेज़बानी इसे और भी अहम बना देती है। यह दिखाता है कि सऊदी अरब सीरिया के पुनर्निर्माण में तुर्की और कतर के साथ मिलकर प्रमुख भूमिका निभाना चाहता है। इसके पहले असद शासन के दौरान, सऊदी अरब ने असद विरोधी गुटों का समर्थन किया था।

पश्चिमी और मुस्लिम देशों का हिस्सा
इस सम्मेलन में यूरोपीय संघ (EU) और पश्चिमी देशों के मंत्री भी शामिल हुए, जिससे यह संकेत मिलता है कि वे सीरिया में अपने हितों को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। इस सम्मेलन में अमेरिकी विदेश उपमंत्री जॉन बास, जर्मन विदेश मंत्री एनालेना बैरबॉक और ब्रिटिश विदेश सचिव डेविड लैमी ने भाग लिया। इसके अलावा, मुस्लिम देशों में सऊदी अरब, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, बहरीन, इराक, जॉर्डन, लेबनान और तुर्की जैसे देशों के विदेश मंत्री भी मौजूद थे। सम्मेलन में प्रमुख रूप से सीरिया की स्थिति और भविष्य पर चर्चा की गई।

प्रतिबंध हटाने की दिशा में कदम
पश्चिमी विदेश मंत्रियों की बैठक से पहले कई खाड़ी देशों ने सीरियाई सरकार को मदद देना शुरू कर दिया है। HTS, जो कि एक आतंकवादी संगठन के रूप में नामित है। इसी कारण सीरिया के विदेशी बैंकों में रखे गए पैसे को बाहर निकालना मुश्किल हो रहा है। यदि HTS को आतंकवादी संगठनों की सूची से हटा दिया जाता है और सीरिया पर लगे प्रतिबंध समाप्त हो जाते हैं, तो सीरिया के विकास की राह आसान हो जाएगी।

जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस मुद्दे पर निर्णय ट्रंप के ऊपर छोड़ दिया है, वहीं, शारा ने कहा है कि वह इस संगठन को भंग करने का फैसला करेंगे। आपको बता दें कि यह बैठक दर्शाती है कि सीरिया के नए शासकों को अब पश्चिमी अधिकारियों के साथ संवाद का अवसर मिल रहा है। यह बातचीत सीरिया के भविष्य और अंतर्राष्ट्रीय मान्यता के लिए अहम साबित हो सकती है।

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