प्रयागराज: श्रीकृष्ण जन्मभूमि व शाही ईदगाह विवाद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट आज अपना फैसला सुना सकता है। वहीं वाद की पोषणीयता को लेकर जस्टीस राम मनोहर नारायण मिश्रा की बेंच में सुनवाई चल रही थी। दोनों पक्षों की दलीलों के बाद कोर्ट ने फैसला 16 जनवरी 2025 यानी आज तक के लिए स्थगित कर दिया था। जानकारी दें कि, इससे पूर्व, इस मामले में जस्टीस मयंक कुमार जैन की पीठ सुनवाई कर रही थी, लेकिन उनके सेवानिवृत्त होने के बाद अब जस्टीस राम मनोहर नारायण मिश्रा इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं।
इस बाबत हिंदू पक्ष ने शाही ईदगाह मस्जिद का ढांचा हटाने के बाद जमीन का कब्जा लेने और मंदिर बहाल करने के लिए 18 मुकदमे दाखिल किए हैं। इससे पूर्व, एक अगस्त, 2024 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदू पक्षों द्वारा दायर इन मुकदमों को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी थी। वहीं कोर्ट ने कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले में बीते 11 जनवरी, 2024 के आदेश को वापस लेने की मुस्लिम पक्ष की अर्जी 23 अक्टूबर, 2024 को खारिज कर दी थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 11 जनवरी, 2024 के अपने निर्णय में हिंदू पक्षों द्वारा दायर सभी मुकदमों को समेकित कर दिया था। यह विवाद मथुरा में मुगल बादशाह औरंगजेब के समय की शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा है जिसे भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर एक मंदिर को कथित तौर पर ध्वस्त करने के बाद बनाया गया है।
हिंदू पक्ष की याचिका
जानकारी दें कि, शाही ईदगाह और श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में हिंदू पक्ष का बड़ा दावा है कि, यह ईदगाह मंदिर तोड़कर ही बनाई गई थी। वहीं तब हिंदू पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इस स्थान पर हिंदुओं को पूजा का जरुरी अधिकार देने की मांग की है। वहीं इस बाबत कोर्ट में हिंदू पक्ष की तरफ से दायर याचिकाओं में यह भी कहा गया कि, मस्जिद का निर्माण कटरा केशव देव मंदिर की 13।37 एकड़ भूमि पर किया गया है।हिंदू पक्ष की यह भी दलील है कि विवादित ढाई एकड़ जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि का गर्भगृह है।
मुस्लिम पक्ष ने रखी ये दलील
वहीं मामले पर मुस्लिम पक्ष की यह भी दलील है कि इस जमीन के मुद्दे पर साल 1968 में दोनों पक्षों के बीच एक समझौता हुआ था, और अब इस समझौते को गलत ठहराना किसा भी तरह से जायज नहीं है। इस मुद्दे पर मुस्लिम पक्ष 1991 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाला भी दे चुका है, जिसके तहत साल 1949 के बाद किसी भी उपासना स्थल के वर्तमान स्वरूप को अब बदला नहीं जा सकता।