नई दिल्ली: विवाह के बिना प्रेम प्रसंग में गर्भवती हुई युवती के 29 सप्ताह का गर्भ गिराने की याचिका पर शीर्ष अदालत ने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए सरकार और AIIMS को विशेष जिम्मेदारी दी है. शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 में पूर्ण न्याय के उद्देश्य से मिले विशेष अधिकार का इस्तेमाल करते हुए AIIMS को युवती के सुरक्षित प्रसव और स्वास्थ्य और कल्याण व निगरानी की जिम्मेदारी सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर सौंपी है.
प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की सलाह पर यह भी आदेश दिया है कि शिशु जन्म के बाद उसे गोद देने के लिए सेन्ट्रल एडॉप्शन रिसोर्स ऑथोरिटी यानी CARA में पंजीकृत हुए दंपति में से सबसे उचित तरीके से सही युगल का चुनाव किया जाए.
सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने अदालत से भावुक अपील करते हुए कहा कि वो शिशु को अपनाने के लिए तैयार हैं. वो उसे अपने आवास रख लेंगी. इसके बाद CJI चंद्रचूड़ ने मामले की गंभीरता के मद्देनज़र सभी पक्षकारों को अपने चेंबर में बुलाया और बातचीत की. इसके बाद अदालत ने अनुच्छेद 142 के तहत मिले विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए आदेश जारी किया.