AFSPA in Assam : केंद्र ने पूर्वोत्तर में घटाया अफस्पा, जानिए क्या है पूरी खबर….

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AFSPA in Assam : केंद्र की मोदी सरकार ने दशकों बाद पूर्वोत्तर राज्यों में आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट (AFSPA) के तहत आने वाले अशांत इलाकों को घटा दिया है। इनमें असम के 23 जिले ऐसे हैं, जहां अफस्पा हटा दिया गया है। जानिए क्या है अफस्पा के नियम, असम में कैसे हुई शुरुआत, सेना को क्या-क्या मिलते हैं अतिरिक्त अधिकार।

केंद्र सरकार ने दशकों बाद पूर्वोत्तर के असम, नागालैंड, और मणिपुर राज्यों में अफस्पा घटा दिया है। इस बात की जानकारी कल गुरुवार को स्वयं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया पर दी। उन्होंने अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसका श्रेय दिया। दरअसल, ये कदम पूर्वोत्तर में सुरक्षा की दृष्टि से बेहतर होती स्थिति और तेजी से विकास का नतीजा है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी उनके राज्य के 23 जिलों से पूर्ण रूप से और एक जिले से आंशिक रूप से सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आफस्पा) को हटाने के केंद्र के फैसले का स्वागत किया।

जानिए क्या है अफस्पा?

पूर्वोत्तर में इस कानून का विरोध होता रहा है। साल 2000 में का उदाहरण हमारे सामने हैं। तब सेना के लोगों द्वारा मणिपुर के मलोम में एक बस स्टैंड पर खड़े 10 लोगों की गोली मारकर हत्या के बाद मणिपुर में सामाजिक कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने भूख हड़ताल शुरू की थी। ये हड़ताल 16 साल तक चली। इस विवादास्पाद कानून के दुरुपयोग के खिलाफ बीते खासकर दो दशकों के दौरान तमाम राज्यों में विरोध की आवाजें उठती रहीं। केंद्र व राज्य की सत्ता में आने वाली सरकारें इसे खत्म करने के वादे के बावजूद इसकी मियाद बढ़ाती रही हैं। मणिपुर की महिलाओं ने इसी कानून के विरोध में सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन किया था।

1991 में असम में लागू हुआ था यह कानून….

गुरुवार को पूर्वोत्तर के कई राज्यों में अफस्पा कानून को घटाया है। इससे पहले 2018 में मेघालय के अलावा अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों से इस कानून को वापस लेने के बाद स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली थी। मेघालय में यह कानून असम सीमा से लगे 20 वर्ग किलोमीटर इलाके में लागू था। असम की बात करें तो यहां के उग्रवादी संगठनों की बढ़ती गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए 27 साल पहले वर्ष 1991 में इसे लागू किया गया था, लेकिन तब के मुकाबले उग्रवादजनित हिंसा में 85 फीसदी कमी आने की वजह से ही सरकार ने मेघालय से यह कानून खत्म करने का फैसला किया था। इससे पहले वर्ष 2015 में 18 साल बाद त्रिपुरा से इसे खत्म किया गया था।

अफस्पा से कौन से अधिकार मिलते हैं सेना को….

1. अफस्पा लागू होने की स्थिति में सेना कहीं भी पांच या पांच से अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा सकती है।

2. सेना के पास बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार होता है।

3. साथ ही चेतावनी का उल्लंघन करने पर गोली मारने तक का अधिकार सेना के पास होता है।

4. सेना किसी के भी घर में बिना वारंट तलाशी ले सकती है। हालांकि अफस्पा के तहत गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को सेना को नजदीकी पुलिस स्टेशन को सौंपना जरूरी होता है।

5. किसी की भी यदि गिरफ्तारी होती है तो कारण बताने के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट भी देनी होती है।

अशांत क्षेत्र घोषित करने का अधिकार भी अफस्पा के तहत…

अशांत क्षेत्र घोषित करने का अधिकार भी अफस्पा कानून के तहत ही आता है। यह अधिकार केंद्र सरकार, राज्यपाल और केंद्र शासित प्रदेशों में उपराज्यपाल के पास होता है। वो किसी इलाके, किसी जिले या पूरे राज्य को अशांत क्षेत्र घोषित कर सकते हैं। इसके लिए भारत के राजपत्र पर एक अधिसूचना निकालनी होती है। यह अधिसूचना अफस्पा कानून की धारा 3 के तहत होती है। इस धारा में कहा गया है कि नागरिक प्रशासन के सहयोग के लिए सशस्त्र बलों की आवश्यकता होने पर किसी क्षेत्र को अशांत क्षेत्र घोषित किया जा सकता है।

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रिपोर्ट – तान्या अग्रवाल

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