हिंदू धर्म में फाल्गुन मास को हर साल होली का त्योहार मनाया जाता है। होली से पहले फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल होलिका दहन 7 मार्च 2023 की जाएगी। होलिका की पूजा करने घर में सुख-समृद्धि, शांति, वृद्धि और धन की प्राप्ति होती है। हालांकि, होलिका दहन की पूजा को लेकर कई मान्यताएं भी हैं, जिनका पालन करना बहुत जरूरी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि अगर होलिका दहन में पूजा नियमों का पालन नहीं किया जाता तो दुख-दरिद्रता का वास आपके घर में हो जाता है।
नवजात शिशुओं को नहीं होना चाहिए शामिल: होलिका दहन की पूजा बेहद शुभ होती है लेकिन नवजात बच्चों को इस पूजा में शामिल नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि होलिका दहन के स्थान पर नकारात्मक शक्तियों का वास होता है ऐसे में शिशुओं को होलिका की आग दिखाना और वहां ले जाना नहीं चाहिए।
नई दुल्हन न देखें होलिका अग्नि: हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार किसी भी नवविवाहिता को होलिका की अग्नि नहीं देखनी चाहिए। माना जाता है ऐसा न करने से सौभाग्य की कमी आती है और दाम्पत्य जीवन में क्लैश, दुख भर जाता है और सारी खुशिया होलिका की अग्नि में भस्म हो जाती है।
गर्भवती महिला भूल कर भी न जाएं: गौरतलब है कि गर्भवती महिलाओं को कभी भी होलिका दहन की पूजा और परिक्रमा में शामिल नहीं होना चाहिए। ऐसी महिलाओं को होलिका की अग्नि को नहीं देखना चाहिए। अगर वह इस नियम का पालन नहीं करती तो उनके पेट में पल रहे शिशु पर नकारात्मक असर पड़ता है।
सास-बहू एक साथ न करें पूजा: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होलिका दहन की पूजा सास-बहू को मिलकर नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से रिश्तों में दरार आती है और सास-बहू में झगड़े बढ़ते है और घर की शांति चली जाती है।
इकलौती संतान वाले माता-पिता: कहा जाता है जिन लोगों की इकलौती संतान होती है, उन्हें भूलकर भी होलिका दहन की अग्नि को प्रज्वलित करने की मनाही होती है। ऐसे लोगों को पूजा में शामिल भी नहीं होना चाहिए और न आग देखनी चाहिए। माना जाता है कि अगर ऐसा न किया जाए तो पारिवारिक जीवन में सुख-समृद्धि चली जाती है और नकारात्मक शाक्ति का वास हो जाता है।
होलिका दहन की लकड़ियां: होलिका दहन में प्रयोग की जाने वाली लड़कियों का चयन करते हुए विशेष ध्यान देना चाहिए। होलिका दहन में पीपल, नीम, बरगद, बेल, आम, आंवला, अशोक का पेड़ की लकड़ियों का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे दोष लगता है।