भोपाल: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक महिला की शिकायत पर व्यक्ति के खिलाफ दर्ज बलात्कार के मामले को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि दोनों ‘अपनी मर्जी’ से 10 साल से अधिक समय से रिलेशनशिप में थे। जस्टिस संजय द्विवेदी ने अपने आदेश में यह भी कहा कि ये मामला कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग प्रतीत होता है। कटनी जिले के एक महिला थाना पुलिस स्टेशन में उस व्यक्ति के खिलाफ नवंबर, 2021 में बलात्कार और अन्य आरोपों के लिए मामला दर्ज किया गया था। इसलिए राहत के लिए उसने हाई कोर्ट का रुख किया था।
कोर्ट के आदेश के अनुसार, महिला और पुरुष शिक्षित हैं और 10 साल से अधिक समय से अपनी “अपनी मर्जी” से शारीरिक संबंध बना रहे थे। इसमें कहा गया है कि जब आदमी ने उससे शादी करने से इनकार कर दिया तो उनका रिश्ता टूट गया। इसका मतलब यह नहीं कि याचिकाकर्ता के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज किया जा सकता है। जस्टिस द्विवेदी ने कहा, “मेरी राय में तथ्यात्मक परिस्थितियों के अनुसार, जैसा कि अभियोजक (महिला) ने अपनी शिकायत में और 164 सीआरपीसी के अपने बयान में बताया है, इस मामले को धारा 375 के तहत परिभाषित बलात्कार का मामला नहीं माना जा सकता है। आईपीसी और अभियोजन कुछ और नहीं बल्कि कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग प्रतीत होता है।
अदालत ने कहा, “इस मामले में आईपीसी की धारा 366 (किसी महिला को शादी के लिए मजबूर करना) भी उस व्यक्ति के खिलाफ नहीं बनती है। इसलिए बाद के समय में याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज आईपीसी की धारा 366 के तहत अपराध भी रद्द किया जा सकता है।