नई दिल्ली: भारत में जहां अब तक 7 बच्चों में HMPV संक्रमण के मामले दिखे हैं। वहीं बेंगलुरु,नागपुर और तमिलनाडु में दो-दो और अहमदाबाद में एक मामला दर्ज किया जा चुका है। इस तरह चीन में फैले इस वायरस ने भारत में भी रफ्तार पकड़ ली है।
वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने चिंता दूर करते हुए कहा था कि इन मामलों के बढ़ने से कोविड जैसा प्रकोप नहीं होगा। HMPV कोई नया वायरस नहीं है। यह 2001 में ही पहचाना गया था और कई सालों से दुनिया भर में फैला हुआ है। विशेषज्ञों का भी कहना है कि HMPV में कम ही अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है और समय पर इलाज से जटिलताओं को रोका जा सकता है।
इन सबके बीच राजधानी दिल्ली समेत कई राज्यों ने एडवाइजरी जारी की है। जिसमें कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात भी शमिल हैं। वहीं इस वायरस को लेकर सोशल मीडिया पर बढ़ती आशंकाओं और चर्चाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए नड्डा ने एक वीडिया संदेश में कहा सरकार पूरी सक्रियता से स्थिति की निगरानी कर रही है और सार्वजनिक पर सुरक्षा के लिए आवश्यक उपाय लागू कर रही है।
महाराष्ट्र के क्या हाल
महाराष्ट्र की बात करें तो, यहां उपराजधानी नागपुर में HMPV संक्रमण के 2 मामले दिखे हैं। इस वायरस के लक्षण यहां दो बच्चों में मिले हैं। इनकी HMPV टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। कहा जा रहा है कि, नागपुर के एक अस्पताल में दो बच्चों को उपचार के लिए भर्ती कराया गया था। बीते 3 जनवरी 2025 को कराए गए टेस्ट में सात साल के बच्चे और 13 साल की बच्ची की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। दोनों बच्चे खांसी और बुखार से ही पीड़ित थे।
वहीं राजधानी मुंबई की बात करें तो बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने YRLS सोमवार को कहा कि मुंबई में ‘ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस’ (HMPV) का कोई मामला नहीं पाया गया है। BMC ने एक विज्ञप्ति में कहा कि केंद्र और महाराष्ट्र सरकारों ने आश्वासन दिया है कि एचएमपीवी किसी बड़ी चिंता का विषय नहीं है और इसे फैलने से रोकने के लिए आवश्यक सावधानियां बरती जा रही हैं।
इसमें कहा गया है, ‘‘आमजन को आश्वस्त किया गया है कि अनावश्यक रूप से घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है। मुंबई में HMPV संक्रमण का एक भी मामला नहीं पाया गया है। पुणे के स्वास्थ्य सेवा निदेशालय ने चीन में एचएमपीवी के प्रकोप की खबरें मीडिया में आने के बाद निवारक उपायों की रूपरेखा तैयार करते हुए तीन जनवरी को दिशानिर्देश जारी किए थे।”
विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि जन स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के श्वसन संक्रमण के आंकड़ों का विश्लेषण किया है, जो 2023 की तुलना में दिसंबर 2024 में मामलों में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं दर्शाता।
कैसे करें बचाव
HMPV संक्रमण पर जारी विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘हालांकि, स्वास्थ्य विभाग ने नागरिकों से श्वसन संक्रमण से खुद को बचाने के लिए दिशानिर्देशों का एहतियातन पालन करने का आग्रह किया है। नागरिकों को सलाह दी जाती है कि खांसते या छींकते समय अपने मुंह और नाक को रूमाल या ‘टिशू पेपर’ से ढंकें, अपने हाथों को साबुन और पानी से बार-बार धोएं या अल्कोहल-आधारित सैनिटाइजर का उपयोग करें। अगर उन्हें बुखार, खांसी या छींक जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, तो उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर जाने से बचना चाहिए।”
विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि नागरिकों को संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सभी क्षेत्रों को हवादार सुनिश्चित करना चाहिए, पर्याप्त पानी पीना चाहिए, पौष्टिक भोजन करना चाहिए। उनसे हाथ मिलाने से बचने का आग्रह किया जाता है। फिलहाल चीन और पड़ोसी देशों की स्थिति पर स्वास्थ्य मंत्रालय, ICMR और NCDC नजर रखे हुए हैं। WHO ने भी इस स्थिति पर ध्यान दिया है और जल्द ही अपनी रिपोर्ट भी साझा करेगा।
कहां हुई थी पहली बार पहचान
जानकारी दें कि, साल 2001 में नीदरलैंड में पहली बार HMPV की पहचान हुई थी। यह हल्के सांस के संक्रमण से लेकर ब्रोंकियोलाइटिस और निमोनिया जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बनता है। वहीं भारत में, विभिन्न क्षेत्रों में इसकी व्यापकता फिलहाल 1% से 19% के बीच है।