सियोल : दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल ने बीते मंगलवार रात को देश में लागू मार्शल लॉ को समाप्त करने का ऐलान किया। यह फैसला संसद में भारी विरोध और वोटिंग के बाद लिया गया, जिसमें 300 में से 190 सांसदों ने मार्शल लॉ के खिलाफ वोट किया। इसके बाद जनता भी सड़कों पर उतर आई और सियोल की गलियों में सेना के टैंक भी दिखाई दिए। राष्ट्रपति यून ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने मार्शल लॉ से जुड़े सैन्य बलों को तुरंत वापस बुलाने का आदेश दिया है। उनका कहना था कि इस कदम का उद्देश्य देश की सुरक्षा और संविधान को बचाना था। लेकिन विरोध के बाद उन्होंने अपने फैसले को वापस ले लिया।
राष्ट्रपति यून सुक-योल ने विरोध के दबाव में लिया फैसला वापस
दरअसल, बीते 3 दिसंबर को भारतीय समय अनुसार रात 8:35 बजे, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल ने देश में इमरजेंसी या मार्शल लॉ लगाने का ऐलान किया। इसके तुरंत बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। इस विरोध के दबाव में आकर, रात करीब 1:30 बजे राष्ट्रपति ने घोषणा की कि सेना को वापस बुला लिया गया है और जल्द ही कैबिनेट बैठक होगी, जिसमें इमरजेंसी हटाने का फैसला लिया जाएगा।
राष्ट्रपति ने अपनी घोषणा के दौरान मुख्य विपक्षी पार्टी पर उत्तर कोरिया के साथ सहानुभूति रखने और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया, जिसके कारण यह कदम उठाना पड़ा। इसके बाद, पूरा विपक्ष तुरंत नेशनल असेंबली पहुंच गया। सेना के संसद को कब्जे में लेने से पहले ही विपक्षी सांसदों ने संसद की कार्यवाही शुरू कर दी।
सेना ने संसद भवन में घुसने के लिए खिड़कियां तोड़नी शुरू कर दीं और कई विपक्षी सांसदों को हिरासत में लिया। संसद की छत पर हेलिकॉप्टर तैनात किए गए और सड़कों पर मिलिट्री टैंक लाए गए। हालांकि, इससे पहले कि सेना संसद के अंदर दाखिल होती, नेशनल असेंबली के 300 में से 190 सांसदों ने राष्ट्रपति के मार्शल लॉ के प्रस्ताव को मतदान में गिरा दिया।
सांसदों के इस कदम के बाद, स्पीकर वू वोन सिक ने घोषणा की कि संसद ने राष्ट्रपति के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। इसके बाद सेना ने अपनी कार्रवाई रोक दी, हालांकि, सेना ने यह भी कहा कि सैन्य कानून तब तक लागू रहेगा जब तक राष्ट्रपति आधिकारिक रूप से इसे हटाने की घोषणा नहीं करते।