महाराष्ट्र कोविड सेंटर स्कैम: संजय राउत के साथी सुजीत पाटकर के खिलाफ मुंबई के बाद अब पुणे में भी FIR

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नई दिल्ली/मुंबई. महाराष्ट्र (Maharashtra) से मिल रही बड़ी खबर के अनुसार, उद्धव गुट के कद्दावर नेता संजय राउत (Sanjay Raut) की मुश्किलें अब और भी बढती दिख रही हैं। दरअसल कोविड सेंटर स्कैम (COVID Center Scam) मामले में सुजीत पाटकर (Sujit Patkar) (संजय राउत के साथी) के खिलाफ एक और FIR दर्ज की गई है।

अब पुणे में भी FIR

जी हां, अब शिवाजी नगर पुणे जंबो कोविड सेंटर का ठेका फर्जी तरीके से हासिल करने के मामले में पुणे पुलिस ने भी IPC की धारा 420, 406, 465, 467, 468, 471, 511, 34 के तहत सुजीत पाटकर, (संजय राउत के बिजनेस पार्टनर), लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज समेत कई अन्य के खिलाफ FIR दर्ज की है।

गौरतलब है कि इसके पहले कोविड सेंटर स्कैम मामले में धोखाधड़ी और जालसाजी मामले में मुंबई के मरीन लाइन्स पुलिस स्टेशन में सुजीत पाटकर इटरनल हेल्थ केयर सर्विसेज एलएलपी (Eternal Health Care Services LLP) के खिलाफ FIR दर्ज हुई थी। इस मामले में बीते साल आजाद मैदान में FIR दर्ज की गई थी और फिर आगे की जांच के लिए EOW को ट्रांसफर किया गया था।

क्या है मामला

तब आरोपों के मुताबिक, पाटकर को मुंबई और ठाणे में कई जगह कोविड सेंटर बनाने के लिए ठेके भी मिले थे। बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने इन ठेकों में अनियमितताएं होने का गंभीर आरोप लगाया था। सोमैया ने पाटकर और उनकी कंपनी के खिलाफ पुणे के शिवाजी नगर पुलिस स्टेशन में भी शिकायत दर्ज करवाई थी। जिसके तहत अब पुणे पुलिस ने भी इस बाबत FIR दर्ज की है।

किरीट सोमैया के गंभीर आरोप

दरअसल पूर्व सांसद और महाराष्ट्र BJP के उपाध्यक्ष किरीट सोमैया का आरोप है कि सुजीत पाटकर के लाइफलाइन मैनेजमेंट को मुंबई महानगरपालिका की ओर से कोरोना काल में कोरोना के इलाज के लिए तुरंत कोविड ट्रीटमेंट सेंटर खोलने का ठेका दिया गया था। यह ठेका संजय राउत की सिफारिश पर दिया गया था। सोमैया का आरोप है कि कोविड के मरीजों के इलाज के नाम पर 38 करोड़ रुपए का घोटाला किया गया था।

गौरतलब है कि, सुजीत पाटकर और उनके सहयोगियों को मुंबई और पुणे में भी कोविड केंद्र आवंटित किए गए थे। वहीं ED ने बीते साल सुजीत पाटकर के घर की तलाशी ली थी, जब ED पात्रा चावल मामले की जांच कर रहा था। बता दें कि, BJP नेता किरीट सोमैया ने कहा था कि उन्होंने RTI अधिनियम के माध्यम से BMC से अनुबंध संबंधी दस्तावेज प्राप्त किए थे, जिससे पता चलता है कि पाटकर को लगभग 100 करोड़ रुपये के अस्पतालों के प्रबंधन के अनुबंध मिले थे।

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