यूरोप में जानलेवा बना वायु प्रदूषण, एक साल में मरे चार लाख लोग

0 121

नई दिल्ली: यूरोप में तकरीबन चार लाख लोगों की जान वायु प्रदूषण ने ले ली. इन सभी लोगों की मौत मुख्य तौर पर तीन तरह के वायु प्रदूषण से जुड़े तत्त्वों की वजह से हुई है. रिपोर्ट कहती है कि अगर प्रदूषण को कुछ भी कम किया जाता, कम से कम विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से तय किए गए प्रदूषण के स्तर तक भी लाया गया होता तो लाखों लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती थी.

यूरोपीय एनवायरमेंट एजेंसी की रिपोर्ट की मानें तो पीएम 2.5 की वजह से 2 लाख 53 हजार लोगों की समय से पहले मौत हो गई. पीएम 2.5 उन लोगों के लिए बेहद घातक होता है, जो हार्ट से जुड़ी परेशानियों से जूझ रहे हैं. पीएम 2.5 के अलावा अगर देखें तो नाइट्रोजन ऑक्साइड (NO2) की वजह से होने वाली प्रदूषण से तकरीबन 52 हजार लोगों की मौत हुई है. नाइट्रोजन ऑक्साइड उन लोगों के लिए नुकसानदेह है, जो डायबिटीज से जुड़ी समस्याओं के शिकार हैं. पीएम 2.5 और नाइट्रोजन ऑक्साइड के अलावा यूरोप में 22 हजार लोग ओजोन से प्रभावित होने की वजह से अपनी जान गंवा बैठे.

पीएम 2.5 की वजह से सबसे ज्यादा मौतें पोलैंड, इटली और जर्मनी में हुई है, जबकि उत्तरी यूरोप के देश आइसलैंड, स्कैंडिनेविया और एस्टोनिया में पीएम 2.5 का असर सबसे कम रहा. ये तो हुई पीएम 2.5 की बात, NO2 और O3 की वजह से होने वाले प्रदूषण के कारण तुर्की, इटली और जर्मनी जैसे देशों में सबसे ज्यादा लोग मरे हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि वायु प्रदूषण की वजह से लोगों की औसत उम्र कम हो रही है. भारत में हर साल प्रदूषण से मरने वालों की संख्या 15 लाख से अघिक है. पीएम 2.5 की मात्रा 60 जब तक है, तब तक तो खुली हवा में सांस लेना सही समझा जाता है. इससे ज्यादा होने का मतलब है, स्थिति चिंताजनक है.

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया Vnation के Facebook पेज को LikeTwitter पर Follow करना न भूलें...
Leave A Reply

Your email address will not be published.