दक्षिण पूर्व एशिया में तीसरे विश्वयुद्ध का खतरा! अमेरिका और चीन आ रहे आमने-सामने

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मनीला : दुनिया का ध्यान भले ही इस समय इजरायल और हमास के बीच जारी जंग पर है। सभी मध्य पूर्व की इस जंग में नए मोर्चे खुलने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन ठीक इसी वक्त दक्षिण पूर्व एशिया में तनाव की ऐसी चिंगारी सुलग रही है जिसे अगर न बुझाया गया तो एक ऐसी जंग शुरू हो सकती है, जो महाशक्तियों के बीच होगी। इसे विश्व युद्ध में बदलने से रोकना बहुत मुश्किल होगा। दक्षिण चीन सागर में बीजिंग की आक्रामकता ने इस खतरे को और बढ़ा दिया है। इस बीच चीन ने घोषणा की है कि वह दक्षिणी चीन सागर में अपने दावे वाले जलक्षेत्र में प्रवेश करने वाले विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार करने लिए कानून बनाने की तैयारी कर रहा है। चीन का यह ऐलान अमेरिका के साथ सीधे सैन्य टकराव की वजह बन सकती है।

हाल के महीनों में अमेरिका के सहयोगी फिलीपींस और चीन के बीच हिंसक घटनाएं बढ़ गई है। चीनी तटरक्षक बल के जहाजों द्वारा सेकंड थॉमस शोल के आसपास विवादित जलक्षेत्र में फिलीपींस के आपूर्ति जहाजों पर वाटरकैनन से हमला करते कई वीडियो सामने आए हैं। कुछ समय पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने क्षेत्रीय सुरक्षा पर चर्चा करने के लिए वाशिंगटन डीसी में फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर और जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा से मुलाकात की। बाइडन ने फिलीपींस के मजबूत समर्थन की बात कही है। इसे एक बड़े घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है।

मई के अंत में सिंगापुर में आयोजित शांगरी-ला सुरक्षा वार्ता में मार्कोस ने चीन की सीधी चेतावनी देते हुए कहा, ‘यदि बीजिंग के जानबूझकर किए गए कार्यों के परिणामस्वरूप फिलीपीन के किसी भी नागरिक की मृत्यु होती है तो मनीला इसे ‘युद्ध के कृत्य’ के रूप में मानेगा और इसी के अनुसार जवाबी कार्रवाई करेगा।’ फिलीपींस ने इसे रेड लाइन बताया है। यह रेड लाइन 15 जून से और लाल हो जाएगी क्योंकि चीन अपने नए विवादित कानून को इसी दिन लागू करने जा रहा है। इसके बाद इस विवादित क्षेत्र में कोई भी गिरफ्तारी बंदूक की नोक पर की जा सकती है।

वर्तमान में चीनी तटरक्षक बल के जहाज दक्षिणी चीन सागर के विवादित क्षेत्र में लगातार आक्रामक गतिविधि करते हुए फिलीपींस को धमका रहे हैं। ऐसे में अगर मनीला अपनी पारस्परिक रक्षा संधि को लागू करने पर मजबूर होता है तो यह कल्पना करना मुश्किल नहीं होगा कि चीनी तटरक्षक जहाजों का सामना अमेरिकी युद्धपोतों से होगा। अमेरिकी युद्धपोत वर्तमान में नेविगेशन की स्वतंत्रता को लागू करने के लिए वर्तमान में इस क्षेत्र में गश्त कर रहे हैं।

अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने सिंगापुर के शांगरी-ला डायलॉग में कहा कि ‘यूरोप और मध्य पूर्व में इन ऐतिहासिक झड़पों के बावजूद, इंडो-पैसिफिक हमारी प्राथमिकता वाला कार्यक्षेत्र बना हुआ है।’ ऑस्टिन का बयान बताता है कि फिलीफींस द्वारा अमेरिकी सैन्य सहायता के किसी भी अनुरोध को वाशिंगटन में सकारात्मक रूप से देखा जाएगा। दिलचस्प बात ये है कि वाशिंगटन के सबसे मजबूत सहयोगियों में से एक ब्रिटेन भी इसमें शामिल हो सकता है। उसके पास दक्षिणी चीन सागर में महत्वपूर्ण नौसैनिक संसाधन तैनात हैं।

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