न्यूयॉर्क : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में गाजा में संघर्ष विराम पर आया प्रस्ताव असफल हो गया है। इस प्रस्ताव को अमेरिका की तरफ से खारिज कर दिया गया है। यह प्रस्ताव तब आया जब यूएनएससी में महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने पहली बार संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 99 को लागू किया। यह वह नियम है जो संयुक्त राष्ट्र प्रमुख को अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरे उठाने में सक्षम बनाता है। गुटारेसे ने गाजा में ‘मानवीय तबाही’ की चेतावनी दी थी। ह्यूमन राइट्स वॉच, ऑक्सफैम और एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसे संगठनों ने अमेरिका के कदम की निंदा की है।
प्रस्ताव के पक्ष में 13 देश थे जिसमें तीन स्थायी सदस्य रूस, चीन और फ्रांस भी शामिल हैं। यूके वोटिंग से गायब रहा। रॉबर्ट वुड ने काउंसिल में यूएन की आलोचना की और कहा कि वह इजरायल में हमलों की निंदा करने में असफल रहा है। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) समर्थित प्रस्ताव पर अमेरिका के यूएन में उप राजदूत रॉबर्ट वुड ने कहा कि सैन्य कार्रवाई रोकने से हमास को गाजा पर शासन जारी रखने की मंजूरी मिल जाएगी। साथ ही यह प्रस्ताव सिर्फ अगले युद्ध के लिए बीज बोने का काम करेगा। भारत की तरफ से आठ दिसंबर को हुई बहस में हिस्सा लिया गया था। लेकिन प्रस्ताव पर उसके रुख की अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिल सकी है। भारत ने 13 नवंबर को आए एक प्रस्ताव में इजरायल के खिलाफ वोट किया था।
फिलिस्तीन के प्रधानमंत्री मोहम्मद शतयेह और यूएन में फिलिस्तीन के राजदूत रियाद मंसूर ने भी अमेरिकी वीटो की निंदा की। मंसूर ने इसे दुखद दिन बताया है। वहीं, हमास ने भी वीटो की निंदा करते हुए इसे अनैतिक और अमानवीय स्थिति बताया। मतदान में भाग नहीं लेने वाले एकमात्र देश के तौर पर ब्रिटेन का कहना है कि देश उस प्रस्ताव पर मतदान नहीं कर सकता जो हमास के अत्याचारों की निंदा नहीं करता जिसमें सात अक्टूबर को निर्दोष इजरायली नागरिकों को निशाना बनाया गया था। हमास के हमले के बाद से ही इजरायल की सेनाएं गाजा को निशाना बना रही हैं।
UN की तरफ से पेश किए गए प्रस्ताव में गाजा में तत्काल सीजफायर और बिना शर्त सभी बंधकों की रिहाई की मांग रखी गई थी. इस प्रस्ताव के पक्ष में 13 सदस्य देशों वोट किया लेकिन अमेरिका के इसके खिलाफ वीटो कर दिया. दरअसल 7 अक्टूबर को इजरायल पर हुए हमालों के बाद यहूदी देश ने हमास को जड़ से मिटा देने की कसम खाते हुए गाजा में अपने हमले लगातार जारी रखे हैं. वहीं अमेरिका इजरायल को पूरा सपोर्ट कर रहा है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने तत्काल युद्धविराम के लिए आपातकालीन सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 99 का इस्तेमाल किया, बता दें कि अनुच्छेद 99 का इस्तेमाल बहुत ही रेयर किया जाता है. उन्होंने बंधकों की रिहाई की अपील करते हुए कहा कि “हमास द्वारा की गई क्रूरता कभी भी फिलिस्तीनी लोगों की सामूहिक सजा को उचित नहीं ठहरा सकती.” इस बीच इजरायल की मदद करने वाले अमेरिका ने UN के प्रस्ताव पर वीटो कर दिया.
हमास द्वारा संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, लड़ाई में फिलिस्तीनी क्षेत्र में अब तक 17,487 लोग मारे गए हैं, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं. इजरायली आंकड़ों के मुताबिक, हमास ने इजरायल में हमला कर 1,200 लोगों की जान ले ली, वहीं 200 से ज्यादा को बंधक बना लिया. इजरायल ने गाजा के विशाल क्षेत्र को बंजर भूमि में तब्दील कर दिया गया है. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि करीब 80 प्रतिशत आबादी विस्थापित हो गई है, खाना, पानी, दवा और ईंधन के लिए लोगों को बहुत ही परेशान होना पड़ रहा है.
WHO के प्रवक्ता क्रिश्चियन लिंडमियर ने कहा, “लोग गर्मी पाने या शायद खाना पकाने के लिए थोड़ी सी जलाऊ लकड़ी पाने के लिए टेलीफोन के खंभों को काटना शुरू कर रहे हैं.” वहीं डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (एमएसएफ) ने कहा कि सुरक्षा परिषद “चल रहे नरसंहार में शामिल थी.”
“कई मोर्चों पर लड़ाई”
इज़रायल की सेना ने भूमध्य सागर में नेवी जहाजहमलों के फुटेज दिखाते हुए कहा कि उसने 24 घंटों में गाजा में 450 ठिकानों को निशाना बनाया है. वहीं हमास के स्वास्थ्य मंत्रालय ने उत्तर में गाजा शहर के पास 40 लोगों की मौत और जबालिया और मुख्य दक्षिणी शहर खान यूनिस में दर्जनों लोगों की मौत की सूचना दी. गाजा के रहने वाले रिमाह मानसी ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया कि उन्होंने उन सभी अपनों को खो दिया, जिनसे वह प्यार करते हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा, “ईश्वर उन लोगों को दंडित करें जो हमारी पीड़ा देखकर शांत हैं. बता दें कि संघर्ष विराम के दौरान इजरायल के भी 91 सैनिकों की जान चली गई है.
ड्राफ्ट को अन्य अरब देशों और इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) का समर्थन हासिल है। लेकिन किसी प्रस्ताव को अपनाने के लिए 15 सदस्यों वाली यूएनएससी में कम से कम नौ को इसके पक्ष में मतदान करना जरूरी है। काउंसिल के पांच स्थायी सदस्यों -अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और यूके में से अगर कोई वीटो कर देगा तो इसे खारिज कर दिया जाएगा। जो प्रस्ताव लाया गया उसमें तत्काल मानवीय युद्धविराम” के साथ-साथ सभी बंधकों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई और मानवीय पहुंच सुनिश्चित करने की अपील की गई थी। यूएन में इजरायल के राजदूत गिलाद एर्दान ने वीटो के लिए अमेरिका को धन्यवाद दिया।