नई दिल्ली : काम का बोझ और समय के अभाव से सक्रिय हुई सरकार अब विपक्ष के हंगामे से बेपरवाह हो कर जरूरी कामकाज निपटाएगी। विपक्ष के साथ सुलह-सफाई की गुंजाइश खत्म होने के संकेत के बाद सरकार इस मोर्चे पर मंगलवार को सक्रिय हुई। सरकार की रणनीति अगली छह बैठकों में जम्मू-कश्मीर वित्त विधेयक , वित्त विधेयक (Finance Bill), विभिन्न मंत्रालयों से जुड़ी अनुदान मांगों को मंजूरी दिलाने की है। इसके लिए सरकार के पास महज 31 मार्च तक का समय है।
बजट सत्र के दूसरे चरण की अब तक सभी बैठकें कामकाज की दृष्टि से करीब-करीब नाकाम रही हैं। उच्च सदन में तो सात बैठकों में रत्ती भर भी कामकाज नहीं हुआ है। सरकार अब मान रही है कि इस सत्र में विवाद टालने के लिए कोई बीच का रास्ता नहीं निकलेगा। सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री के मुताबिक विवाद खत्म करने के लिए एक प्रस्ताव भेजा गया था। सरकार चाहती है कि विवाद पर दोनों पक्ष अपनी अपनी बात रखें और इसके बाद सदन की कार्यवाही शांतिपूर्ण तरीके से चलने दें।
बजट सत्र के दूसरे चरण का मुख्य कार्य वित्त विधेयक के साथ सभी मंत्रालयों से जुड़ी अनुदान मांगों को पारित कराना होता है। हालांकि अभी तक की बैठकों में इस दिशा में कुछ भी नहीं हो पाया है। चूंकि वित्त विधेयक के साथ अनुदान मांगों को 31 मार्च तक पारित कराना अनिवार्य है, ऐसे में सरकार के पास किसी भी स्थिति में ऐसा करने के बदले दूसरा कोई रास्ता नहीं है।
बता दें, मंगलवार को संसद के दोनों सदनों में सरकार और विपक्ष के बीच राहुल बनाम जेपीसी की जंग लगातार सातवें दिन जारी रही। विपक्ष अदाणी समूह पर लगे आरोपों की जांच के लिए जेपीसी गठित करने तो सत्ता पक्ष राहुल गांधी की माफी की मांग पर अड़ा रहा। गतिरोध तोड़ने के लिए लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा के सभापति की पहल भी बेअसर रही। राज्यसभा सभापति की ओर से सभी दलों से बातचीत के लिए बुलाई गई दो बैठकों में बुलाने के बावजूद नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे नहीं पहुंचे।